वट सावित्री
सात जन्म का ये रिश्ता है,
मिलकर साथ निभाएंगे।
अमर रहे परिणीता जोड़ी,
सुख-दुख संग उठाएंगे।
सच्ची प्रीत पिय प्रियतम की,
वट वृक्ष भी अब साक्षी है।
रक्षासूत्र बाँध कर इसको,
अखंड वर अनुकांक्षी है।
अपने योग सत्व के तप पर,
सावित्री वरदान मिला।
लम्बी उम्र पति प्रेम पाकर,
सुहाग को अमरत्व मिला।
सात फेरे सात वचन संग,
लेकर चलती वामांगी।
पति पर आँच न आए कोई,
बन जाए ढाल शुभांगी।
वट पर बाँधे पवित्र मौली,
बन जाती हैं हमजोली।
आस्था "श्री" ज्योति जलाकर,
आशिष से भरती झोली।
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Sarita Shrivastava "Shri"
05-Jun-2024 10:00 PM
👌👌
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