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लेखनी कहानी -06-Jun-2024

शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग.... एक सच **********"""********" हम सभी जीवन में कुदरत के साथ और भाग्य को एक सच कहते हैं वैसे हम सभी जानते हैं इस शब्दों में कहानी कविता और बड़े-बड़े लेखकों के उपन्यास हम आज भी पढ़ते हैं परंतु क्या हम उन उपन्यासों को पढ़कर कुछ प्रेरणा और कुछ बात जीवन में सोचते हैं शायद नहीं या कुछ बहुत कम ऐसा ही होता है। मैं तो एक लेखक जीवन के सच के साथ जुड़ा हूं परंतु पूरा सच तो मैं भी नहीं कह पाता हूं। क्योंकि अगर मैंने कुदरत और भाग्य के साथ एक सच कह दिया। तब शायद देश और समाज की लोगों को किया मेरी कहानी के पाठकों को भी बुरा लग सकता है परंतु फिर भी मैं शब्दों के अर्थो को एक सच के साथ लिखता हूं। आज की कहानी जो हम पढ़ रहे हैं वह केवल कुदरत और हमारे किरदार के साथ लिखी है क्योंकि पार्ट को भी तो किरदार बनने का पूरा हक है जो पाठक हमारी कहानी को सोचते और समझते हैं और पढ़ते भी अपनी प्रतिक्रियाओं से हमारे जीवन को समझते हैं तभी तो हम अपनी कल्पनाओं की शक्ति से कहानी का लेखन करते हैं और हम सभी पढ़नेवाले पाठक मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच को हम शब्दों में लिखकर आपको जीवन और जिंदगी के सच और मोहब्बत के रंग एतबार और एहसास सांसों केसाथ हम अपने जीवन में सच करते हैं। और समय के साथ-साथ कुदरत और भाग्य भी एक सच बताते हैं और हम इस सच और भाग्य के साथ अपना-अपना जीवन जीते हैं। आपकी कहानी आप उसके किरदार और सांसों के साथ-साथ आप और हम हम कहानी को केवल सांसारिक और भौतिक रूप से क्योंकि हम सभी के जीवन में बस यही सच रहता है कि हम एक ही वस्तु धन जो की जीवनकी हर जरूरत पूरा करता है और हम सभी जीवन में जीते जीते धन के लिए मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच को कहते हैं और हम सभी सांसारिक मोह माया के साथ एक किरदार जो की भाग्य और कुदरत के रंग मंच पर तरह-तरह की जीवन के अतर्गत अपने-अपने किरदार निभाते हैं। और सांसारिक रंगमंच को छोड़कर जन्म और मृत्यु के बंधन को निभाते हैं। परंतु जब तक जीवन हमारा साथ रहता है तो हमारे जीवन की सोच रहती हैं। परंतु हम सभी लेखकके द्वारा मेरा भाग्य और कुदरत के रंग और एक सच को मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे के ध्यान और दान को सहयोग नहीं करते हैं और केवल एक दूसरेसे ईर्ष्या भाव और मन ही मन भाव के साथ उम्र भर समझते हैं और जब तक हम समझने का प्रयास करते हैं तब तक कुदरत और भाग्य के रंग एक सच के साथ उम्र की आखिरी पड़ाव तक पहुंच जाते है। बस यही हमारे जीवन के किरदार का एक वादा है जो हम सभी मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच के साथ हम निभाते हैं आज के शब्द और कहानी में कोई किरदार नहीं है केवल आपकी और मेरी और हमारी सोच ही किरदार है आओ कहानी में आगे बढ़ते हैं क्योंकि इश्क मोहब्बतें और प्रेम तो हमारे शारीरिक संबंध और हमारे जीवन में एक उत्तेजना है जो हमें समझा देती हैं। परंतु हमने कभी जन्म लेने के बाद 10 से वर्ष या 15 वर्ष तक अपने जीवन के पालन पोषण का एहसास किया है आप कहेंगे हां बिल्कुल कर है हमारे माता-पिता और हमारे घर के सभी सदस्य जानते हैं मैं बचपन से कितना शैतान और कैसे परेशानियों में सुख में बड़ा हुआ। हां सच आपने सच कहा क्योंकि हमारे माता-पिता भी हमारे भगवान होते हैं ऐसा कहते हैं और हम जब जन्म से बचपन तक बड़े होते हैं परवरिश होती है। परंतु हमने कभी अपने माता-पिता से पूछा हमारे मुंह में दांत सर पर बाल और जीवन में सांसे कौन देता है और कौन लेता है। तो मेरे पाठक कहानी पढ़ने वाले सोच रहे होंगे सभी को मालूम है कुदरत और ऑक्सीजन हम लेते हैं और जीवन में जन्म हुआ है वह मारेगा भी केवल हम सोचते हैं। और हम कभी सोचते हैं कुदरत के मंदिर और कुदरत के साथ भी हमको न्याय करना चाहिए। मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच के साथ हम सभी पाठकों के किरदार को आभार व्यक्त करते हैं और अपनी प्रतिक्रिया के लिए उनसे निवेदन करते हैं। हम सभी दान देते हैं मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे और भी बहुत सी ऐसी जगह बस हम कभी मंदिर और कुदरत के साथ मंदिर नहीं बनवाने को सहयोग या दान नहीं करते हैं। हां कुदरत हमें जन्म से से लेकर मृत्यु तक पालन पोषण करती हैं। न बचपन न जवानी और न बुढ़ापा सोचतीं हैं।और मंदिर में प्रसाद भी दान के .. साथ ही मिलता है और मंदिरों में न जाने कितने किलो फल और प्रसाद बेकार हो जाता है परंतु हम किसी को बांट नहीं सकते हैं क्योंकि उन फलों पर अधिकार पंडित जी के मिलने वाले या जो ज्यादा दान दिखाकर कर देते वह भी रूपयों में शामिल होते हैं। सच तो हम सभी किरदार जानते हैं। कि एक सच हम कुदरत के साथ नहीं समझते हैं क्योंकि हम सभी कुदरत के बारे में सोचते ही नहीं हैं। आओ हम सभी जाने और देश के सभी कहानी के पाठक और किरदार आज कुदरत को और भाग्य के साथ एक सच को एक स्वीकार करते हैं। हम सभी आज कुदरत के साथ जीवन जीते है परंतु हम कुदरत को ही नहीं समझते हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक हमारे साथ कुदरत होती है और बाकी सांसारिक रिश्ते तो सांसों के साथ और जीवन में एक मोह माया को बताते हैं। हम सभी कहानी की किरदार हैं और जो किरदार हम निभाते हैं वह जीवन कुदरत के साथ होता है सांसारिक माता-पिता तो हमें पालन पोषण करते हैं और रिश्तो में हम एक दूसरे का सच और स्वस्थ रखते हैं आओ हम सभी मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच को पहचानते हैं और जीवन में कुदरत को हम सभी मानते हैं और कुदरत के साथ हम सभी जीते हैं जीवन भाग्य के साथ चलता है यही एक सच यही एक सच है। ********" नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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1 Comments

Anjali korde

07-Jun-2024 06:45 AM

Amazing

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