गहरे जख्म लेखनी कहानी -09-Jun-2024
गहरे जख्म
गहरे जख्म हर कोई एक नया जख्म दे जाता है। कभी वो अपने होते है। तो कभी अपने दोस्त जो दिल के करीब होते है। कभी कोई अनजाने रास्ते में अनजाने में। तो कभी कोई इन जख्म को किस-किस को बया करे। जिनको बया किया वो और ज्यादा जख्म दे गए। बया भी उन को कर बैठे जो इंसानियत जानते ना थे। वो उन गहरे जख्म को और गहरे करते रहे। और हम एक मुस्कराहट लिए बैठे रहे। कुछ बोला भी पर वो हमे समझाने लगे। की ये कुछ नहीं बस दो पल का तुमको हसाने के लिए एक मज़ाक था और कुछ नहीं। मेरी बातों को दिल पर क्यो लेते हो
ये तो चलता रहता है यार ,पर कोई क्या जाने दिये गये जख्म ऊपर से तो भर जाते। है।
पर दिल ही दिल मे एक गहरे जख्म का निशान हमेशा के लिए छोड़ जाते है।
हम तो यू ही पागल थे जो अपना समझ अपने दर्द बताते गये और लोग उसे नासूर बनाते गये।
आखिर मे हम भी उन को छुपा करके मुस्कारा सिख गये।
और जो जख्म दे गये वो भी परेशान हो गये ।
हमे मुस्काते देख के बोल उठे वो भी और बता यार कैसा है तू और हम भी दर्द छुपा बोल बैठे मजे मे है यार।
ऐसा देख हमे वो भी वहाँ से उठ के चल दिये और हम बस देखते रह गये कि यार भी बोला और दिल का हाल भी ना समझ सका ।
ऐसे यार से अच्छे तो ये गहरे जख्म है,
एक मुस्कान तो दे जाते है फिर वो दिखावे की ही हो।
स्वरचित- अंजू सिंह
Babita patel
03-Jul-2024 08:28 AM
👍👍
Reply
Anjali korde
12-Jun-2024 09:23 AM
V nice
Reply