Nazneen Khan

Add To collaction

आयत और उसका परिवार

इस मंच पर यह मेरी पहली कहानी है और मुझे आशा है कि आप सभी इसे पसंद करेंगे और ढेर सारा अपना प्यार देंगे इस कहानी को रोजाना पढ़ कर ,तो चलिए शुरू करते हैं कहानी

ये कहानी है एक ऐसी लड़की की जिसका नाम आयत था ,वह अपने परिवार के साथ कराची में रहती थी ।

वह अपनी माँ और बाबा के साथ बहुत खुश थी  ,आयत कराची के एक नामी बिजनेसमैन मिस्टर शाह की बेटी थी ,उनका खानदान बहुत ऊंचा था ।

हर कोई उनकी बहुत इज्जत करता था , लोग दूर -दूर से सिर्फ उनके पिता से मिलने के लिए आते थे , उनका स्वभाव बहुत दयालु था और  वह जरूरतमंद लोगों की मदद भी किया  करते थे ।

पर मिस्टर शाह की कुछ आदते मिसेज शाह को बिल्कुल नहीं पसंद थी , जिसकी वजह से दोनों के बीच आए दिन लड़ाइयां होती थी।

एक दिन मिस्टर शाह और मिसेज शाह ड्रॉइंग रूम में एक दूसरे से बहुत ऊंची आवाज में बात कर रहे थे ।

आयत अपने रूम में बैठी हुई  थी ,जब उसने जोर -जोर से  चिल्लाने  की आवाज सुनी तो वह डर गई क्योंकि उसकी मां और बाबा कभी इतनी  जोर-जोर से बात नहीं करते थे ।

वह जल्दी से अपने कमरे से बाहर आती है और सीढ़ियों से नीचे उतरने लगती है  , फिर एकदम से सीढ़ियों पर रुक कर दोनों की बातें तुमने लगती है।

मिसेज शाह गुस्से से -" मुझे अब तुमसे डाइवोर्स चाहिए और तुम्हें आब मुझे डाइवोर्स देना पड़ेगा।"

मिस्टर शाह - " पर मैं तुमको डायवोर्स नहीं दूंगा। "

मिसेज शाह - " क्यों नहीं दोगे ? मुझे डाइवोर्स चाहिए इस बात को जानने के बाद अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती ।"

मिस्टर शाह - " क्यों दूं मैं तुम्हें  डाइवोर्स ताकि तुम मुझे मेरी बेटी से दूर कर दो । "

मिसेज शाह - " हां मैं नहीं चाहती  की तुम्हारी इस हरकत के बारे में आयत को पता चले । तुम बस मुझे डाइवोर्स दे दो और आयत हाउस को आयत के नाम कर दो ।"

मिस्टर शाह - " पर मैं तुम्हें इस तरह डाइवोर्स नहीं दे सकता तुम दोनों मेरी जिम्मेदारी हो । "

मिसेज शाह - "तुम कितना अपना फर्ज निभा रहे हो ये मैंने अच्छी तरह से देख लिया है तो अब तुम ये बातें ना ही करो तो अच्छा है । मैं अब और अरगुमेंट नहीं कर सकती,  तुम बस मुझे अब डाइवोर्स दे दो , अब मैं तंग आ चुकी हूं हर चीज से, अब ये मेरा आखरी फैसला है । "

मिस्टर शाह - " तो ठीक है जब तुम ने फैसला कर ही लिया है तो मैं भला क्या कह सकता हूं ले लो डायवोर्स और रही बात आयत हाउस था की तो वो पहले से ही आयत के ही नाम है ।"

इतना कहकर मिस्टर शाह घर से चले जाते हैं और मैसेज शाह सोफे के पास बैठकर रोने लगती हैं।

और दूसरी तरफ आयत सीढ़ियों पर खड़ी सब सुनती रहती है । यह सब सुनकर उसकी आंखें नम हो जाती है। और वहां खामोशी से अपने  रूम में चली जाती है।

धीरे - धीरे वक्त गुजरता गया और आयत अपने बाबा का इंतजार करती रही ! कि एक बार मिस्टर शाह उससे मिलने जरूर आएंगे ।

देखते - देखते कई साल गुजर गए परंतु मिस्टर शाह नहीं आए । अब तो आयत का कॉलेज भी खत्म होने को थ , और  वह इंतजार करते - करते अच्छा ठीक है थक चुकी थी उसने मन ही मन में ये मान लिया था कि अब मिस्टर शाह नहीं आएंगे और वहां अपनी मां के साथ खुशी - खुशी जीवन बिताने  लगती है  ।

फिर एक दिन मिसेज शाह की  तबीयत अचानक से बहुत खराब हो  जाती है और आयत उन्हें  डॉक्टर के पास लेकर जाती है । तो  आयत को पता चलता है कि उसकी मां को एक  गंभीर बिमारी है । जिसकी वजह से उनकी जल्द ही मृत्यु हो जाएगी । यह बात पता चलते ही आयत बहुत परेशान हो जाती है,  और सोचने लगती है कास आज बाबा हमारे साथ होते ।  आयत अपनी मां को लेकर  आ जाते हैं , और कहती है ।

आयत-" मां अब तुम आराम करो , और परेशान होने की कोई बात नहीं है तुम एक-दो दिन में ठीक हो जाओगी मैं हूं ना तुम्हारे साथ  ये लो मेडिसिन खाओ और आराम से सो जाओ।"

मां (लाड से) - " हां- हां बेटा मैं ठीक हूं । तुम परेशान नहीं हो मैं ये दवाई खाकर  मै सो जा  रही हूं।"

आयत- " हां ठीक है । मैं यही हूं अगर आपको कोई चीज की जरूरत होगी तो बता दीजिएगा । "

आयत अपनी माँ के लिए आयत बहुत परेशान रहने लगी थी। वह रोज एक नए डाक्टर से मिलती और उनका इलाज करने का रास्ता निकालने  की कोशिश करती , परन्तु कोई रास्ता  न निकलने  पर वो बहुत उदास हो जाती । फिर एक दिन आयत  को डाक्टर बताते है कि उसकी माँ के पास केवल कुछ दिन रह गये हैं और वो उनका अच्छे से  ध्यान रखने को कहते हैं।

अगली सुबह आयत अपनी मां को लेकर मौल जाती है।

आयत-" मां मुझे कुछ शॉपिंग करनी है क्या तुम मेरी मदद करोगी आज मैं सारा सामान तुम्हारी पसंद  से ही सामन लूंगी ।"

मां ( खुशी से) -" हां - हां क्यों नहीं मैं आज तुम्हें सारा सामान अपनी पसंद  से ही दिलाऊंगी और देखना तुमसे अच्छी पसंद है मेरी।"

आयत( हंसकर) - " अच्छा तो ये बात है चलिए फिर देखते हैं । "

आयत और इसकी मां दोंनो 1 फुटवियर की शॉप पर जाते हैं वहा आयत को एक सैंडल पसंद आ जाती है ।जिसे कि वह शोकेस से उठा के अपनी मां के पास आने लगती हैं तभी वो  एक लड़के से टकरा जाती है , दोनों के हाथ से शूज और सैंडल गिर जाती है ।

आयत( गुस्से से)- " ओ हेलो !  देख कर नहीं चल सकते हो ये तुम्हारे घर का ड्राइंग रूम नहीं है जो तूम इस तरह से चल रहे हो।"

लड़का - " हेलो मैडम ! ये आपके घर का भी ड्राइंग रूम नहीं है जो आप इस तरह से गुमसुम चल रही है देखकर आप भी चल सकती हैं ।"

आयत -" गुमसुम और मैं ! जाकर अपनी आंखें ठीक कराओ । मैं कोई गुमसुम वुमसुम नहीं  चल रही थी। बल्कि तुम ही आगे देखकर नहीं चल रहे थे ।"

इतना कहकर आयत सैंडल उठाती है ,और आगे बढ़ जाती है ।

वह लड़का आयत को देखता रह जाता है और फिर वह भी अपना शूज उठाकर दूसरी ओर चला जाता है और मन में सोचता है कि अजीब पागल लड़की है ।

तो फ्रेंडस  क्या लगता है आपको  ? ,ये लड़का कौन है ? , क्या यही है  ? , क्या यही आयत का मिस्टर परफेक्ट है ?

आपको क्या लगता है ,इन दोनों के बीच में क्या कभी दोस्ती या प्यार हो पाएगा ?

आगे जानने के लिए आगे की स्टोरी जरूर पढ़ें।

   15
7 Comments

hema mohril

22-Jan-2025 02:35 PM

v nice

Reply

Arti khamborkar

19-Dec-2024 03:49 PM

v nice

Reply

Babita patel

03-Jul-2024 08:39 AM

👍👍

Reply