हम थे नादान..
गजल
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हम थे नादान हमें पता न था/
मतलबी था वो बावफ़ा न था //
पूजता ही रहा ये दिल जिसे,
गम यही है कि वो खुदा न था/
हम मुक़म्मल उसी के हो गऐ,
जो हमारे लिए बना न था/
जिंदगी भर यही खता हुई,
लिख रहे थे मगर पढ़ा न था/
कौन 'प्रेमल' लगा गया नजर,
चाँद इतना कभी बुझा न था/
प्रेमल नूराना...✍🏻
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From : Ratia, Fatehabad, Haryana,
Khushi jha
29-Oct-2021 01:58 PM
वाह
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Ankit Raj
27-Oct-2021 04:56 PM
Good
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ऋषभ दिव्येन्द्र
27-Oct-2021 12:57 PM
जबरदस्त लिखा है आपने 👌👌
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