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कामिनी भाग 27

कामिनी और रात्रि अपनी नफरत भरी निगाहों से गुरुदेव को ऐसे देख रही है...जैसे कोई नागिन अपने सबसे बड़े दुश्मन,,,नेवले को देखती हैं,,,कामिनी और रात्रि को अपने आप को ऐसे देखते हुए,,,गुरुदेव विचार में पड़ जाते हैं और अपने मन में सोचते हैं

"यह दोनों,,,मुझे ऐसे क्यों देख रही है,,,कहीं इन्हें,,,मुझ पर कोई शक तो नहीं हो गया है"?

चेतन चुड़ैल को भी यह अजीब लगता है और वह कामिनी ओर रात्रि से कहता है

" तुम दोनों,,,गुरुदेव को ऐसे क्यों देख रही हो,,,अरे,,,,तुम्हारे होने वाले ससुर जी हैं,,,इनके पैर छुओ और आशीर्वाद लो"!

तब कामिनी गुरुदेव से नजर हटाकर रात्रि की ओर देखती है और मन में कहती है

'यह वह नहीं है"!

तब रात्रि रहस्यमय ढंग से मन में कहती है

"पर इनकी आवाज तो बिल्कुल वैसी ही लग रही है"!

तब कामिनी अपने मन में रात्रि को जवाब देते हुए, कहतीं है

"रात्रि... कयी मनुष्य की शक्ल ओर आवाज एक जैसी होती है,,, उसका अर्थ यह नहीं होता कि आवाज ओर शक्ल एक होने से वह मनुष्य भी वही हो.. समझने की कोशिश करो.. चेतन की खुशी के लिए इनके पैर छूकर इनका आशिर्वाद लो...

तभी रात्रि ने मुस्कुराते हुए.. मन में कामिनी से कहा

"अभ पिशाचनी... मनुष्य का आशीर्वाद लेगी...मनुष्य के रिवाज भी बड़े अजीब है.. कामिनी"!

तब गुरुदेव जिम्मेदारी भरे शब्दों से कहते हैं,,,

"कामिनी और रात्रि ,,,तुम परामर्श बाद में कर लेना,,,अभी हमें विवाह के पूर्व की रस्मों को पूरा करना है मंडप की ओर चलो,,,विलंब ना करो"! गुरुदेव ने जाते हुए कहा गुरुदेव कहा

फिर कामिनी ने मुस्कुरा कर रात्रि से कहा..

"देखा... गुरु जी कितने बुद्धिमान है.. हमारे मन के भेद को तत्काल जान लिया.. उन्होंने"!

तब चेतन चुड़ैल ने मन में सोचा..

" ये सब मन में बातें कर रहे थे ओर मुझे पता भी ना चला...अब गुरुदेव से यह कला भी सिखना पड़ेगी"!

फिर चेतन चूडै़ल... कामिनी ओर रात्रि की ओर देखकर मुस्कुराने लगा... तब रात्रि चेतन चुड़ैल से बोली

"प्राणनाथ... मंडप की ओर चले"!

चेतन चुड़ैल...आत्मविश्वास के साथ कामिनी ओर रात्रि के बीच आकर खड़ा हुआ ओर उन दोनों के हाथ पकड़ कर उन्हें...मंडप की ओर ले जाने लगा...

ओर मंडप की सजावट देखकर...कामिनी और रात्रि से बोला

"यह मंडप तुमने ही सजाया है या स्वर्ग से किसी देवता को बुलाकर सजवाया है...अद्भुत सौंदर्य से सजा मंडप किसी दिव्य महल की तरह लग रहा है"!

तब कामिनी...प्चेतन चुड़ैल की आंखों में देखते हुए कहती है

"मेरे प्रीतम...यह मंडप...आज हमारे अमर प्रेम के गठबंधन का साक्षी बनने वाला है...इस मंडप का सौंदर्य हमारे प्रेम का प्रतीक है और मंडप में लगे...इन फूलों की सुगंध...हमारी जीवन में आने वाली खुशियों की महक है"!

मंडप के बीच में एक यज्ञ कुंड है...जिसमें से अग्नि जल रही है और गुरुदेव सामने बैठकर...मंत्रों के साथ..उसमें आहुतियां दे रहे हैं फिर का चेतन चुड़ैल कामिनी..रात्रि मंडप में आते हैं...चेतन बीच में बैठता है और उसके बाएं और कामिनी और दाएं और रात्रि बैठी है और गुरुदेव कुछ मंत्र पढ़ते हैं और वह तीनों यज्ञ कुंड में आहुति डालते हैं

मंडप के सामने एक बहुत विशाल सभा मंडल लगाया गया है...वहां पर सभी बाराती ठहरे हुए हैं और बाकी की सभी पिशाचनी...बारातियों का स्वागत..सत्कार कर रही है...वह सभी पिशाचिनी  बहुत खुश नजर आ रही है...सभी बाराती कतारबध्द लाइनों में बैठे हुए हैं...पिशाचीनिया कई प्रकार के व्यंजन...मिठाई..गुलाब जामुन...रसगुल्ला..जलेबियां...खीर और भी कई तरह के व्यंजन बारातियों को प्रेम से परोस रही है और सभी बाराती उस स्वादिष्ट भोजन को खाकर मस्त हो रहे हैं ..सभा मंडल में पारुल...गांव की लड़कियों के साथ अलग बैठी है और वह गुस्से से चेतन चुड़ैल को देख रही है और अपने मन में सोचती है

"अगर चेतन चुड़ैल को इन्हीं पिशाचीनियों से शादी करनी थी तो मुझसे...प्यार का  ढोऔग क्यों किया...मेरे साथ...मेरे अरमानों के साथ...खिलवाड़ करके देखो...कैसे उन पिशाचीनियों के साथ बेठा खुश हो रहा है...बेर्शम कहीँ का"!

तभी एक गांव की लड़की,,,पारुल को चिढ़ाते हुए कहती है

"पारुल...तुम अब चेतन चुड़ैल के सपने देखना बंद कर दो...क्योंकि...अब चेतन चुड़ैल हमेशा के लिए कामिनी और रात्रि का हो जाएगा...तुम किसी दूसरे नौजवान को ढूंढ लो...इसी में तुम्हारा फायदा है"!

पारुल उस गाँव की लड़की की पीठ पर मारकर...खड़ी होती है और मंडप की ओर बढ़ती है...मंडप की सीढ़ियां चढ़कर...पारुल गुरुदेव के पास आकर खड़ी होती है और गुस्से से चेतन चुड़ैल को देखती हैं...

अपने सामने पारुल को गुस्से में देख...चेतन चुड़ैल चौंकता है और उसे हैरानी से देखते हुए अपने मन में सोचता है

"अरे...यह पारुल मुझे...ऐसे गुस्से से क्यों देख रही है...मुझे लगता है...इसे कामिनी और रात्रि से मेरी शादी...ठीक नहीं लग रही है...यह बड़बोली यहां कुछ...उल्टा-सुल्टा बोलकर...मेरे मस्त प्लान को फ्लाप न कर दे...अरे...कोई आकर इसे ले जाओ...नहीं तो यह सबको मरवाएगी...क्योंकि मेरे दोनों तरफ पिशाचिनी बैठी है...जो मन के रहस्य को चुटकी में जान लेती है...कहीं यह पारुल का रहस्य भी ना जान ले... है भगवान.. आज ये पागल पारूल सबको मरवाएगी"!

तभी रात्रि और कामिनी ने पारुल को देखा और रात्रि मुस्कुराकर पारुल से बोली

"तुम कौन हो और यहां क्यों खड़ी हो,,,तुम्हें कुछ चाहिए"?

तब पारुल अपने मन में कहती है

"मेरा सब कुछ छीनकर,,,मुझसे पूछ रही है,,,मुझे क्या चाहिए"?

तब कामीनी ने पारुल की आंखों में देखते हुए..उससे कहा

"तुम इतनी चिंतित क्यों हो...तुम्हें किसी ने कुछ गलत कहा,,,आज हमारी शादी हो रही है,,,इसलिए मैं किसी को उदास नहीं देख सकती,,,आज तुम जो भी मांगोगी,,,मैं,,,तुम्हें मना नहीं करूंगी,,,बताओ तुम्हें क्या चाहिए"?

तब चेतन चुड़ैल ने बात बदलते हुए कहा

"अरे कामीनी इसे वहां गर्मी लग रही होगी तो यह यहां आ गई और वैसे भी इसे फूलों का बहुत शौक है...देखो पूरा मंडप फूल से सजा है...शायद,, इसीलिए यहां पर आई है,,,मै..सही कह रहा हूं ना ...पारुल"!  चेतन चुड़ैल ने पारुल को आंख मारते हुए कहा

अगले पल पारुल की आंखों में आंसू आ जाते हैं...तब कामिनी गुस्से से खड़ी होकर...पारुल से कहती है

"तुम ऐसे मोन क्यों खड़ी हो ओर रो क्यों रही हो...बताओ...तुम्हारे साथ क्या अन्याय हुआ है...मैं...तुम्हें न्याय दिलाऊंगी...ऐसे मोन खड़ी ना रहो और अपनी दुविधा बताओ...में... तुम्हे... तुम्हारा अधिकार दिलाऊंगी..बोलो...कामिनी कभी किसी को झूठा वचन नहीं देतीं हैं...

कामिनी की यह बात सुनकर चेतन चुड़ैल और गुरुदेव चिंतित होकर पारूल की ओर देखते हैं....

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2 Comments

Babita patel

03-Jul-2024 08:38 AM

👍👍👍👍

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Varsha_Upadhyay

12-Jun-2024 04:50 PM

Nice one

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