पिता -16-Jun-2024
प्रतियोगिता हेतु
दिनांक: 16/06/२०२४
पिता
पिताजी को करती हूँ याद हर पल,
रहती हूँ उनकी यादों के साथ हर पल।
लिखूँ क्या पिताजी के विषय में?
शब्द नहीं हैं मेरे पास।
जब भी करती हूँ कोशिश लिखने की,
आँखे मेरी भर आती हैं।
पिता से बढ़कर विश्वास नहीं जगत में,
पिता से बढ़कर मित्र नहीं जहाँ मे।
पिता है तो सब कुछ है यहाँ,
बिन पिता के कुछ भी नहीं जहाँ में।
जब भी करती हूँ कोशिश लिखने की,
आँखे मेरी भर आती हैं।
पिता सागर है बच्चों की खुशियों का,
जिसमें बच्चे गोता लगाते हैं।
पिता एक आशा है, प्रेम है, त्याग है,
जिसमे हम सब अपने सपने सजाते हैं।
जब भी करती हूँ कोशिश लिखने की,
आँखे मेरी भर आती हैं।
शाहाना परवीन'शान'...✍
Anjali korde
17-Jun-2024 12:04 AM
V nice
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