निर्जला एकादशी (कविता )-17-Jun-2024
निर्जला एकादशी -एक तप
वर्ष में चौबीस एकादशियाँ होतीं, अधिक मास में होतीं छब्बीस। ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष की एकादशी को, निर्जला एकादशी कहते जगदीश।
चर्चा निर्जला एकादशी की आज, आओ कर लें प्रबुद्ध समाज। जिसको करने से पाप नष्ट होता, सॅंवरे सारे बिगड़े काज।
पावक क्षण में धू-धू करके, खर को दो पल में है जलाती। वैसे ही निर्जला एकादशी , दुख बाधा है पास न आती।
पानी की अहमियत बताता, इसे बचाना है सिखलाता। जो सीधे से इसे न समझें, धर्म के नाम पर उन्हें सिखाता।
दिन भर पानी ना हम पीते, पानी बिन हैं हम अकुलाते। तब जाकर के हम मानव, जल की महिमा समझ हैं पाते।
आध्यात्मिक भावना जागृत होती , पूर्ण करता व्रत को संकल्प। व्रती दिवस पूरा तप करता, बाहुगुणित फल मिले ना अल्प।
धर्म ग्रंथ कहते यह बात, आत्मसंयम साधना इस एकादशी के साथ। बड़ा अनूठा है यह पर्व, संयम साधना का होता एहसास।
भीषण गर्मी, ना पीते पानी, दिखती इसमें एक कहानी। दूजे को हम पानी पिलाकर, भारतीय परंपरा की ना किए हानि।
उपवास का अर्थ यह गहना, ईश्वर के तुम पास ही रहना। बस परमात्मा की सेवा में, ज्ञानेंद्रियाॅं लग जाएंँ कहना।
साधना अवधि न जाए बेकार, कर आत्मचिंतन करना साकार। जीवन की तुम करना समीक्षा, प्रायश्चित ,परिशोधन की दरकार।
साधना शाही,वाराणसी