हर रिश्तों की होती अलग है कहानी( कविता) स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु 18-Jun-2024
हर रिश्तों की होती अलग है कहानी स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु
हर रिश्तों की होती अलग है कहानी, कोई दे मुस्कुराहट, कोई आंँखों में पानी। कोई अपनी याद में पागल बना दे, कोई तोड़ दिल को है करता मनमानी।
हर रिश्तों की होती अलग है कहानी, कोई दे मुस्कुराहट, कोई आंँखों में पानी।
जीते जी कुछ की है अर्थी उठ जाती, कुछ अर्थी के बाद भी जीती-जगाती। जब तक वो जी तब तक कांँटे बिछाई, फूलों को मसली वो ली जिंदगानी।
हर रिश्तों की होती अलग है कहानी, कोई दे मुस्कुराहट, कोई आंँखों में पानी।
कुछ रिश्ते जीवन में हैं लहलहाते, जीवन की बगिया को महमह कर जाते। बबूल, नागफनी से कुछ हैं लगते, पतझड़ सी कर देते हैं जिंदगानी।
हर रिश्तों की होती अलग है कहानी, कोई दे मुस्कुराहट, कोई आंँखों में पानी।
साधना शाही, वाराणसी,उत्तर प्रदेश