जिम्मेदारी
जिम्मेदारी
पिताजी की मृत्यु को एक महीना ही हुआ था कि शांतनु के सिर पर ही बहन की शादी और घर की जिम्मेदारी का बोझ आ गया। पिताजी की बीमारी में भी बहुत खर्च हो चुका था। घर के हालात को मां समझती थी, लेकिन बेबस की फिर शांतनु के भी दो लड़कियां थी। उनको पढ़ाना लिखाना और उनके ब्याह के लिए भी कुछ जोड़ना, सब कुछ देख कर घबरा गया शांतनु और चिड़चिड़ाने लगा। उस दिन ऑफिस जाने से पहले मां से कह रहा था, अब मैं क्या करूं, कहां से करूंगा इनका ब्याह, मेरी भी तो दो लड़कियां हैं। पिताजी ने जो रुपया जोड़ा था, उन्हीं की बीमारी में सब खत्म हो चुका है। मां और बहन दोनों निगाहें झुकाए सब सुन रही थी। तभी बहन की सिसकियों के बीच एक आवाज गूंजी, दरवाजा खोला तो डाकिया बहन की आईएएस में सफलता का संदेश दे गया। बहन और मां की आंखों में खुशी के आंसू छलकने लगे और शांतनु निशब्द सिर झुकाए खड़ा शायद यही सोच रहा था कि पिताजी जाने से पहले ही अपनी बेटी को पढ़ा लिखा कर अपनी जिम्मेदारी इस तरह निभा गए उनकी बेटी किसी पर बोझ नहीं बने।
Babita patel
03-Jul-2024 08:53 AM
👌👌
Reply
Prince Singhal
03-Jul-2024 06:58 PM
🙏🙏
Reply
Anjali korde
19-Jun-2024 09:17 AM
Beautiful story
Reply
Prince Singhal
19-Jun-2024 09:36 AM
Thanks ji
Reply
shweta soni
19-Jun-2024 07:27 AM
👌👌👌
Reply
Prince Singhal
19-Jun-2024 08:47 AM
🙏🙏🙏
Reply