साक्षात्कार
चार दिन की जिंदगी,
खुदा की न की बंदगी,
उम्र भर धन जोड़,
पल में छोड़ गए।
कैसे मिलाएं नज़र,
मालिक के दर पर,
रिक्त घर रोगी पिता,
भूख से मर गए।
औलाद को ऊँचाई दी,
कुटुंब को बुराई दी,
तेरा-मेरा खूब किया,
रिश्तों से रूठ गए।
ईश्वर से साक्षात्कार,
परमात्म एकाकार,
माया में उलझ कर,
“श्री” हरि भूल गए।
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Sarita Shrivastava "Shri"
19-Jun-2024 05:04 PM
👌👌
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