बचपन की बाते
जैन की मां - " जानती हो जहरा जैन जब छोटा सा था ना तब से ही वो ऐसा ही है। जब वो स्कूल में था तो वो अलग अलग फील्ड में सिस्सा लिया करता है । साथ ही अपनी टीम का लीडर भी होता था । उसे हमेशा से कुछ अलग करने की चाह रही है पर वो बात अलग है की वो कभी भी एक चीज पर टीका नहीं । बार जानती हो उसने क्या किया । उसके के कुछ दोस्त बोरिंग स्कूल में जा रहे थे तो उस दिन जैन ने घर आकर मुझसे और अपने डैड से कहां थी मुझे भी बोर्डिंग स्कूल जाना है मैं और दया और उसके डैड बहुत परेशान हूं की कैसे वो बोरिंग स्कूल में रहेगा और घर होतेेेे हुए बोरिंग स्कूल । पर जैैन के बहुत जिद करने पर उसके डैड ने उसे बोर्डिंग स्कूल भेज दिया। फिर कुछ महीने बाद ही जैन का वहां सेे फोन आया । और साहबजादे अपने डैड से कहने लगे ......
डैड प्लीज मुझे यहां से वापस बुला लीजिए । मुझे यहा बिल्कुल मजा नहीं आ रहा है । मैं बोर हो गया हूं । "
जहरा (हँस्ते हुए) - " तो मैडम साहिबा आपने जैन बाबा को जाने ही क्यु दिया था। "
जैन की मां - " जैन की जिद और क्या। जैसे - जैसे जैन बड़ा होता गया वैसे - वैसे उसकी जिदे बड़ती गई , और फिर वो हमारी इकलौती औलाद है। हम उसकी जिदे कैसे ना पूरी करते। जैन का कॉलेज खत्म होते ही उसने फैैसला किया कि वो म्यूजिक सीखेगा और उसमें अपना करियर बनाएगा । फिर कुछ महीने बाद जैन उससेेे भी बोर हो गया। उसे भी छोड़ दिया । ऐसे उसने कई बार किया अलग - अलग चीजे करने के लिए जाता और कुछ दिनों में उसे छोड़ कर चला आता। फिर एक दिन उसने अपनेे डैड से कहा कि उसे फोटोग्राफर बना है , और वो फोटोग्राफी सीखना कराची जाना चाहता है । "
जहरा - " तो क्या आप लोगो जैन बाबा को फोटोग्राफर बनने के लिए भेजा ? "
जैन की मां - " हां ! हम फिर उसकी जिद के आगे हार गये और फिर उसे कराची फोटोग्राफर बन्ने के लिए भेज दिया। फोटोग्राफर बनने के बाद एक फैशन शो के दौरान जैन की और नेहा की मुलाकात हुई ।और दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे। अब जैन की दीवानगी नेहा के लिए इस हद्द तक बढ़ गई है कि वो अब उससे शादी करना चाहता है। और जैन के डैड को ये रिश्ता बिल्कुल भी मंजूर नहीं है। मेरी असल परेशानी की वजह ये बात। जिसकी वजह से मैं बहुत फिक्र मंद रहती हैं आज कल। "
जहरा- " आप परेशान ना हो मैडम साहिबा इस परेशानी का भी कोई ना कोई रास्ता जरूर निकल आएगा ।"
जैन की मां - " हाँ! हाँ! बिल्कुल । चलो जहरा अब तुम शाम के खाने की तैयारी करो । मै सब रखकर आती हूं वैसे जैन के डैड आने का भी वक्त हो रहा है । "
जहरा - " जी मैडम साहिबा। "
उधर आयत घर पहुंचती कर अपनी कुछ पुरानी किताबें जिन्हें वह अब नहींं पढ़ती थी, मार्केट में बेचने के लिए ओल्ड बुक स्टोर पर जाती है । दुकान वाले को अपनी किताबें बेच कर वह घर वापस आती है । साथ में कुछ खाने का सामान भी लेकर आती है । घर बडा़ होने की वजह से घर पर ज्यादा पैसे खर्च हो जाते थे और उसकी सैलरी उस हिसाब से बहुत कम थी इसलिए आयत को यह सब करना पड़ता था ।
दिन ढलने लगा है, और आयत के मीटिंग का टाइम भी हो रहा था । आयत बुक पब्लिशर की मीटिंग कॉल एक्सेप्ट करती है , और दोनों बात करना शुरू करते हैं ।
तो क्या लगता है आप लोगो को क्या ये बुक पब्लिशर आयत की लिखी हुई बुक को पब्लिश करेंगे या नहीं......
कहानी आगे जारी रहेगी और आप अपने विचार को कमेन्ट करके बताए साथ ही इस कहानी को लाईक और शेयर भी करे।
Babita patel
02-Jul-2024 09:04 AM
Awesome
Reply