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लेखनी कहानी -21-Jun-2024

शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग..... एक सच (अनाथ जीवन का सच) ********************************** एक सच तो हमारी कुदरत और भाग्य के रंग होते हैं। बस आज हम सभी जानते हैं। मानव जीवन के साथ-साथ हम सभी दिनचर्या दिन-रात जीते रहते हैं और सांसारिक मोह माया के साथ हम सभी एक दूसरे के सहयोगी और छल फरेब भी रखते हैं परंतु हम सभी का जीवन एक कुदरत और ईश्वर की महिमा भाग्य के साथ होता हैं। हम सभी अपना अपना जीवन जीते और जीवन के साथ-साथ हमारी इच्छाएं और हमारा मन समय के साथ-साथ बदलाव चाहता है और हम सभी कहीं ना कहीं अपने मन भावनाओं से समझौता करते है। यही तो जीवन की विडंबना है हम सभी अपने जीवन को अच्छा मानते हैं और दूसरे के जीवन को गलत समझ सकते हैं। एक इंसान की फितरत होती है। राजा और रानी दोनों एक अनाथ आश्रम में पालकर बड़े होते हैं और अनाथ आश्रम में बचपन से लेकर एक दूसरे का झूठा खाना है एक दूसरे के साथ कभी-कभी नहाना धोना और सच के साथ कहे तो भरपेट खाना न मिलाना भी एक अनाथ आश्रम की कहानी है राजा और रानी अनाथ आश्रम में रहकर बड़े होते हैं। तब तक उन्हें समाज और समाजिक सोच की पहचान हो चुकी होती हैं। क्योंकि जब वह अनाथ आश्रम में रहते थे बचपन से जवानी तक जो लोग अनाथ आश्रम में समाज की ओर से दान देने आते थे वह राजा रानी के साथ अन्य जो बच्चे अनाथ आश्रम में रहते थे। उन सभी के साथ अपने परिवार वालों की जन्मदिन और शादी की सालगिरह के साथ-साथ मरण जीवन की दिन की दावते भी खाने को मिलती थी और अनाथ आश्रम के मालिक और सरकार द्वारा दिया गया धन और दान अनाथ आश्रम की अय्याशी और पारिवारिक आर्थिक स्थिति की मजबूती के लिए खर्च होता था और समाज को अनाथ बच्चों के साथ यह दिखावा दिखाया जाता था कि हम बच्चों के लिए बहुत कुछ करते हैं। राजा और रानी बहुत समझदार बच्चे बन चुके थे। राजा और रानी दोनों व्यस्त हो चुके थे और अनाथ आश्रम वालों ने उन दोनों को आश्रम से बाहर रहने की हिदायत दी थी राजा और रानी बचपन समाज और सामाजिक जीवन को समझ चुके थे जब दोनों को आश्रम से बाहर रहने की हिदायत दी जाती है तब राजा और रानी दोनों एक दूसरे से एक समझौता करते हैं और दोनों अनाथ आश्रम से बाहर निकाल कर एक किराए का कमरा लेकर दोस्तों की तरह एक छत के नीचे जीवन निर्वाह करते हैं समय बीतता है और दोनों समाज के साथ-साथ जवानी की दहलीज पर भी कदम रखते हैं और रानी भी एक समाज में काम ढूंढ कर अपने पैरों पर खड़ी होती है उधर राजा भी फैक्ट्री में काम करके अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है अब दोनों एक दूसरे को चाहने भी लगते हैं। राजा और रानी को समझ में रहकर यह समझ आ चुका होता है की अनाथ बच्चों की साथ कोई सामाजिक या समाज उन्हें एक अच्छे दृष्टिकोण का सहयोग नहीं देता है तब राजा और रानी आपस में समझौता करते हैं और कहते हैं कि हम दोनों समाज में रह जरूर रहे हैं परंतु यह समाज हम जैसे बच्चों को शोषण और बेकार समझता है क्योंकि हमारे साथ किसी का नाम नहीं जुड़ा होता तब तक हम समाज के दृष्टिकोण से सामाजिक नहीं बन पाते है। राजा रानी को समझता है कि हम दोनों इस शहर में एक दूसरे की साथ विवाह करके अपना परिवार बनाकर अपने बच्चों को सामाजिक सम्मान दिला सकते हैं परंतु अगर हम दोनों अलग-अलग जीवन जीना चाहते हैं तो हम दोनों से हमारे भविष्य के बीते हुए कल के बारे में पूछा जा सकता है और हम बीते हुए कल को सच बता देंगे तो हमारा जीवन है नर्क बन सकता है। रानी कहती है मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच होता है और हम सभी को जीवन की सच की राह बताता है। और रानी राजा की बात सहमत हो जाती है और दोनों एक दूसरे से विवाह कर लेते है। और दोनों शहर को छोड़कर पास के गांव में जाकर जीवन जीने लगती है धीरे-धीरे समय दिखता है और राजा और रानी की परिवार में एक सुंदर बिटिया जन्म देती है और इस तरह राजा रानी का परिवार बन जाता है और जब रहे अपनी बिटिया की परवरिश करते हैं और उसे एक स्कूल में पढ़ने भेजते हैं तब राजा और रानी को बिटिया की स्कूल के बच्चे आंटी और अंकल कहने लगते हैं। राजा और रानी को अब बहुत अच्छा लगने लगता है परंतु एक दिन बिटिया समय के साथ-साथ बड़ी होती है और रहे हैं राजा रानी अपने मम्मी पापा से पूछतेध है मम्मी मेरे दादा दादी और नाना नानी कहां हैं। राजा रानी बिटिया की बातों को सुनकर कुछ सोच नहीं पाते हैं और कहते हैं कि वह बचपन में ही मर चुके थे। क्योंकि बिटिया समाज के साथ स्कूल में पढ़ती है और उसे सहयोग में माता-पिता मिल चुके होते हैं। राजा रानी को अब समझ आ चुका होता है कि जीवन में अभी संघर्ष बाकी है और बिटिया को समाज की रूपरेखा में ढालना बहुत जरूरी है। कुदरत के रंग और एक सच भाग्य के साथ चलता है और समय के साथ हमें बहुत से जवाब छुपानी पड़ते है। क्योंकि मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच तो होता है परंतु हम कभी-कभी अपनी जीवन की राह बनाने के लिए झूठ भी बोलना सीखते हैं और यही सच है हम सभी कहीं ना कहीं जीवन की किसी न किसी मोड़ पर समय के साथ-साथ छुपा जाते है। सच तो कहानी का उद्देश्य हम सभी को यह कहता है जीवन कैसा दीजिए परंतु मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच कहते हैं। मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच के साथ कहानियों की नई-नई सोच और कल्पना हम सभी को एक संदेश देती है कि कुदरत भाग गए अपने-अपने रंग रखते हैं जो समय के साथ-साथ एक सच बनकर उभरते हैं और हम सभी अपने और मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच को पढ़ते हैं और समझते हैं। ***************************"" नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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1 Comments

Babita patel

02-Jul-2024 09:07 AM

V nice

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