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लेखनी कहानी -22-Jun-2024

शीर्षक - अपराधी आत्मा


        हम सभी जानते हैं जीवन में हमारे मन और सोच के साथ ही हमारे कर्मों का और हमारी आत्मा का बोध होता है जिससे हमारी आत्मा  का ज्ञान और आत्मा का अपराधी या सही होता है। क्योंकि जीवन में आत्मा तो  अमर अजय होती हैं। यह हमारी परंपराएं और हमने जीवन में अपने ग्रंथों में सुना और पढ़ा है। अपराधी आत्मा हमारे मन की एक और समझा है जिससे हम अपने जीवन में सही और गलत रहा चुनते हैं।
                  आओ हम सब पाठक अपराधी आत्मा के विषय में  पढ़ते हैं। मानसी एक मध्यम परिवार की लड़की होती है और उसकी शोक मेडिकल अस्पताल में नर्स को देखकर नर्स बनने का होता है और वह अपने घर में परिवार में नर्स बनने के लिए ट्रेनिंग देने के लिए कहती है तब जब उसके घर वाले नर्स बनने के लिए अस्पताल में पूछने जाते है तो वहां उनको सभी बातें बताने के बाद फीस के लिए बताया जाता है और वह फीस इतनी ज्यादा होती है। मानसी के घरवालै इतनी फीस नहीं दे सकते थे। परंतु मानसी कोई ना कोई राह ढूंढना चाहती है। 
           मानसी आधुनिक विचारों की और खूबसूरत जवान लड़की थी। और एक अस्पताल में नौकरी करने के लिए जाती है वहां उसे एक लिखा पड़ी की नौकरी मिल जाती है धीरे-धीरे मानसी बनने के लिए जानकारी हासिल करती है नर्स बनने के लिए कोई भी राह चुन सकती थी मन में एक जुनून था। और भी अस्पताल के ही  एक डॉक्टर से नर्स बनने का सौदा कर लेती हैं। और वह डॉक्टर मानसी का शोषण करता है जिससे मानसी की मन की आत्मा अपराधी होने का एहसास करती हैं। मानसी आधुनिक समाज लड़की होने के साथ-साथ नर्स बनने का जूनुन था। 
           और मानसी अपनी आत्मा के अपराधी होने का एहसास भूलकर नर्स बनने का दाखिला ले लेती है। और जब नर्स बनने की ट्रेनिंग पर चली जाती है। तब उसके घर वाले बहुत खुश होते हैं परंतु अब मानसी बनने की बहुत खुशी थी मेडिकल कॉलेज में नर्स बनने के लिए चली जाती है और मानसी को नर्स बनने की राह पर मालूम चलता है जो डॉक्टर ने उसका शोषण किया था ऐसा तो इस राह में होता ही रहता है मानसी अपराधी आत्मा को भूलकर जीवन के दौर को समझ जाती है और वह अपनी राह में आगे बढ़ जाती है। 
             मानसी अपने मन में अपराधी आत्मा को समझ चुकी होती है और यह जानती है कि मन के विचारों का मन के मानने  से ही अपराध बोध की सोच होती है। और मानसी मन भावों की सोच ही अपराधी आत्मा होती हैं। अपराधी आत्मा नहीं होती हैं। बस केवल हमारी एक सोच होती हैं। आधुनिक समाज और समय पर हम सभी आज अपराधी आत्मा के साथ साथ ही जीवन को सफल बना लेते हैं। 
            एक सच भी तो यही है कि जीवन में बस सोच ही अपराधी आत्मा का नाम होता है। 

"****** नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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1 Comments

Babita patel

02-Jul-2024 09:07 AM

V nice

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