भविष्य दर्शन भाग _ 15
कहानी _ **भविष्य दर्शन**
भाग _ 15
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
उस औरत के शरीर में मौजूद आत्मा को पद्मिनी की शक्ति का अंदाजा नहीं था।उसने गुर्राकर उसकी तरफ देखा और चीखने चिल्लाने लगी।लोग काफी भयभीत होने लगे।किसी ने कहा _ लाओ रस्सी लाओ इसे बांधो और पागल खाने ले चलो वरना सबको घायल कर देगी।
पदमिनी ने कहा किसी को कुछ करने की जरूरत नहीं है।यह पागल नही हुई है।इसके शरीर में एक शक्तिशाली आत्मा का वास है।वही यह सब करवा रही है।
उसकी बात सुनकर सभी आश्चर्य से कभी उसकी तरफ कभी उस औरत को देखने लगे।आनंद को भी बड़ा आश्चर्य हुआ।
पदमिनी इस औरत के सामने जाकर खड़ी हो गई ।आनंद ने उसे रोकने की कोशिश किया लेकिन वो नहीं मानी।
सब लोग अपनी सांसे रोके उसे देखने लगे।किसी ने कहा _ उसके सामने मत जाओ बेटी वो तुम्हारा नुकसान कर सकती हैं।लेकिन पदमिनी ने सबकी बातो को अनसुनी कर दिया और उस औरत की आंखो में आंखे डालकर बोली तो तुम मुझसे जोर आजमाइश करना चाहते हो।
मैंने तुम्हे समझाया था शांति से इस औरत को छोड़ दो मैं तुम्हे मुक्ति दिला दूंगी लेकिन तुमने मेरी बात नही माने।अब देखो मैं तुम्हारे साथ क्या करती हु।
इतना कहकर उसने अपनी निगाहे उस औरत की आंखो में डाल दिया।थोड़ी ही देर में वो औरत दर्द से चीखने चिल्लाने लगी और बोलने लगी _ मुझे छोड़ दो मुझे छोड़ दो मेरा शरीर जल रहा है।धीरे धीरे उसकी चीख बढ़ने लगी ।
बोलो छोड़ते हो की नही इस औरत को ,पदमिनी ने गुस्से से कहा।
छोड़ दूंगा ।
छोड़ दूंगा नही जल्दी छोड़ो और दुबारा कभी इसकी तरफ पलटकर देखना भी नहीं।पदमिनी ने डांट कर कहा ।
तभी वो औरत बड़ी जोर से छटपटाई और फिर शांत हो गई।चुपचाप वो निढाल होकर जमीन पर बैठ गई।अचानक भीड़ में एक औरत जोर जोर से चीखने चिल्लाने लगी सब लोग हैरत से उधर देखने लगे।लेकिन पदमिनी निश्चिंत हो आराम से खड़ी रही ।
वो औरत भागते हुए पद्मिनी के पास आई और उसके पैर पर गिरकर माफी मांगते हुए कहा _ मुझे माफ करो।मेरी ही गुलाम आत्मा मुझे ही मरना चाहती है मुझे बचा लो ।
पदमिनी ने कहा _ क्यों अब खुद पर बन आई है तो बहुत तकलीफ हो रही है।अपनी जान की गुहार लगा रही हो।
मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई।अब दुबारा ऐसा नहीं करूंगी।मुझे बचा लो।
उस औरत ने गिडगिड़ाते हुए कहा।
सोचो तुम लोग छोटी छोटी बात पर किसी के पूरे परिवार को तबाह करने का घिनौना काम करती हो। अगर इस औरत को कुछ हो जाता तो इसके दो छोटे छोटे बच्चो और बाकी परिवार को कौन संभालता।
क्या इसलिए तुम लोग जादू टोना और तंत्र मंत्र सिखती हो ।पदमिनी ने गुस्से से कहा।
वो औरत कुछ नही बोली।
मैं तुम्हे सबके सामने नही लाना चाहती थी लेकिन तुम मेरे संदेश को नही मानी ।तुम्हे अपनी शक्ति पर बड़ा गुमान था।
इसलिए मेरे समझाने के बाद भी तुमने अपनी गुलाम आत्मा को वापस नहीं बुलाई और बेचारी राजमुमिया काली को तड़पते देख मजा ले रही थी।इसलिए तुम्हारी ही गुलाम आत्मा को तुम्हारे पास भेज तुम्हे सबक सिखाने के लिए।
चूंकि अब तुमने अपनी गलती मान लिया और दुबारा ऐसी गलती नही करने की बात कही हो तो मैं तुम्हे भी इस शैतान से मुक्ति दिलाती हूं।
इतना कहकर उसने उस औरत के सिर के बाल पकड़कर अपनी ओर खींचा और खड़ा किया और कहा _ अब तुम आजाद हो जाओ इसक्रो छोड़कर फिर कभी इसके पास मत आना ।
उसने जैसे ही यह बात कही वो औरत शांत हो गई और खुश होकर बोली बेटी तुमने मेरी आंखे खोल दिया है।अब मैं भी भलाई का काम करूंगी ।
गांव वाले हैरत से पदमिनी को देख रहे थे। राजमुनियां कर परिवार वाले हाथ जोड़ कर पदमिनी के सामने खड़े हो गए और बोले बेटी तुमने आज मेरे परिवार को बरबाद होने से बचा लिया।हम सब तुम्हारे जिंदगी भर आभारी रहेंगे।राजमुनिया भी हाथ जोडकर इसके सामने खड़ी थी और उसकी आंखो से झर झर आंसू बह रहे थे।
गांव के बाकी लोगो ने कहा _ हम सबको खुशी है कि पदमिनी जैसी लड़की हमारे गांव की बेटी है।
आनंद को पदमिनी की इस शक्ति का अंदाजा ही नही था।वो बहुत प्रभावित हुआ उससे।
तभी उसे कॉलेज की याद आई ।उसने पदमिनी का हाथ पकड़ कर कहा _ अरे चलो जल्दी कॉलेज के लिए देर हो रही है।
पदमिनी ने कहा _ हा चलो इतना कहकर वो आनंद की बाइक पर पीछे बैठ गई ।
शेष अगले भाग _ 16 में
लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286
HARSHADA GOSAVI
18-Dec-2024 11:14 AM
Great
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Babita patel
02-Jul-2024 09:16 AM
V nice
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