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लेखनी कहानी -27-Jun-2024

शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग........ एक सच ******************************* जीवन और जिंदगी में सभी जानते हैं मेरा भाग्य और कुदरत के रंग सच की किरण एक सच के साथ होती हैं हम सभी मानव और मानवता का सहयोग करते हैं। परन्तु सच हम सभी मानवता का नाम मन में रखते हैं और जीवन में दिखावे और सोशल मीडिया पर अपने कामों की बात बताना ऐसा सहयोग होता है। आज आधुनिक परिवेश में हम सभी सोशल मीडिया के साथ साथ हमारे रिश्ते नाते और सोच भी सोशल मीडिया के साथ रखते हैं। आज अनिकेत बहुत खुश था।और सोशल मीडिया पर वह बहुत सक्रिय रहता था। और वह वयस्क और मानवता के साथ साथ जीवन के सच को जानता था। बस हम सभी आज रिश्तों और सोच के साथ-साथ सभी बातें सोशल मीडिया पर हम सभी मस्ती करते हैं। परन्तु कभी हमने सोचा है कि सोशल मीडिया एक सच और समस्या या अपनी बात कहने का सहयोग और माध्यम है। परन्तु आज हम सभी शायद सोशल मीडिया को एक फोटो शेयर करना घर की जन्मदिन पार्टी का सहयोग और सभी घरेलू दिखावे सोशल मीडिया का सहयोग करते हैं। अनिकेत का सोशल मीडिया पर एक हम उम्र की लड़की अनीषा से इश्क मोहब्बत दोस्ती से शुरू होती हैं । और कहानी बढ़ कर एक दूसरे से मिलने का प्रयास शुरू होता हैं। और अनिकेत बहुत खुश और खुशनसीब समझता है। कि उसे एक ऐसा पल जिंदगी में मिला हैं अनिकेत और अनीषा की मिलने का समय नजदीक आ जाता हैं। और अनिकेत चाहत और मोहब्बत में शारीरिक संबंध की सोच और आंनदमयी दिल की सोच से मस्त हो जाता हैं। और अनिकेत अभी ग्रेजुएशन के प्रथम वर्ष में था। और अनीषा एक भरपूर जवान स्त्री थी जो कि भोले भाले नादान अल्हड़ जवानी के बेकाबू लड़कों को सोशल मीडिया पर वेवकुफ बनाकर अपने प्रेम जाल में फंसाकर धन और आर्थिक-सामाजिक रूतबा बनाती थी। अनिकेत को सोशल मीडिया का जाल साजिश और जादू की समझ नहीं होती है और वह अपने हाँस्टल का पता देकर अनीषा को आने का निमंत्रण दे देता हैं। अब अनीषा अनिकेत से कुछ रुपए की मांग करतीं हैं तब अनिकेत अपने घर से झूठ बोल कर बीस हजार रुपए मंगा कर अनीषा के खाते में डलवा देता हैं। उधर अनीषा समझ चुकी थी सोशल मीडिया के जाल में नादान शारीरिक संबंध को आतुर नादान अब फंस चुका है। और वो पल भी आ जाता हैं। कि अनीषा अनिकेत की बहन बनकर अनिकेत हाँस्टल पहुंच जाती हैं। और अनिकेत अनीषा को देखकर बहुत खुश हो जाता हैं। और अपने हाँस्टल के गेस्ट रुम में उनको रहने का प्रबंध भी हो जाता हैं। अब अनीषा हास्टल वार्डन से बहन कहकर रात भर अनिकेत को अपने साथ रहने के लिए हां करा लेती हैं। अब रात को अनिकेत और अनीषा अपनी शारीरिक वासना के संबंध स्थापित करते हैं नादान उम्र का अनिकेत को जीवन का सुख और आनंद की राह मिल गई थी। और सुबह की पहली किरण के साथ अनीषा अनिकेत से विदा लेने को कहती हैं और कहती हैं मेरे प्यारे भाई रात गई बात गई और तुम भी ठीक मैं भी मस्त परंतु अनिकेत का मन नहीं भरा होता है और वह अनीषा को हाथ पकड़ कर खींचता है तब अनीषा कहती है। मेरे प्यारे भाई अनिकेत अब मैं तुम्हारी बहन हूं और जो एग्रीमेंट ₹25000 का था वह रात गई बात गई पूरा हो चुका है और अनिकेत का हाथ झटक कर खड़ी हो जाती है और कहती है अगर तुम्हें मेरे साथ और टाइम और समय बिताना है तो मेरी डील शायद तुम्हारे लिए ₹10000 पर-डे होंगी। और जब तुम मेरी बैंक अकाउंट में पैसे डाल दोगे तब मैं तुम्हारी रात और दिन रंगीन करने आ जाऊंगी। अब अनिकेत को सोशल मीडियाका सच समझ में आने लगता है और वह अपनी शारीरिक वासना के लिए अनीषा अपने प्यार और एहसास के सथ बीते हुए पल और रिश्तों का वास्ता देता है परंतु अनीषा शारीरिक संबंध की व्यापार की मानसिकता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। क्योंकि अनीषा तो एक उम्र की मांझी औरत थी और सोशल मीडिया की वैश्या प्रवृत्ति की मानसिकता रखती थी। परंतु अनीकेत इस उम्र में अनीषा के प्रेम को एक सच और जीवन समझ बैठा था। जोकि सोशल मीडिया का आधुनिक युग का सच था। हम सभी जानते हैं आजकल के जमाने में सबको पैसा और हर किसी की जरूरत पैसा -धन ही ईमान और जीवन हो गया है। अनीषा को अनीकेत के पैसे की ज़रूरत थी न कि अनिकेत के सोशल मीडिया की न उसकी दोस्ती की न उसके प्रेम के एहसास की क्योंकि अनीषा का धंधा और काम था। परंतु अनिकेत को इस उम्र में समझ नहीं आ रहा था और वह अनीषा को अपने प्यार के साथ-साथ वह उसे अपना जीवन साथी बनाने की कसम देता है। अनीषा मुस्कुराती हुई और कहती है। बेबी मुझे कोई घरेलू औरत बनने का शौक नहीं है । और एक पति परमेश्वर के साथ जीवन बीताते रहने का नाम नहीं है।। ऐसा कहते हुए अनीषा उठकर खड़ी हो जाती है और अनिकेत को हाथ हिलाकर बाय-बाय करती है और अनिकेत की आंखों से धीरे-धीरे ओझल हो जाती है और अनिकेत अपने कमरे में बिस्तर पर उल्टा होकर बेसुध पड़ जाता है। सोशल मीडिया पर धोखाधड़ी और झूठ की पहचान शायद उसे आ चुकी होती है और अनिकेत अपने बिस्तर से उठकर बालकनी में आकर देखता है। कि....... अनीषा हाथ में अपना ब्रीफकेस लेकर हॉस्टल की सीढ़िया से नीचे उतरने लगते हैं और बेचारा अनिकेत अपनी नादानी और बेवकूफी पर आज पछता रहा था। और सोशल मीडिया का सच और अपनी बेवकूफी सोच उसके सर पर से अब उस पर हंस रही थी क्योंकि हम सभी का लक्ष्य आज के जीवन में धन के साथ जीवन और जीवन के साथ धन का तो होना ही चाहिए परंतु हमें आज सोच समझ कर सोशल मीडिया पर अपना जीवन और अपने आप को रखना चाहिए। क्योंकि सोशल मीडिया तो एक आपकी सोच और आपकी इच्छा का साधन है न कि आपको शिक्षा अच्छी और ग़लत दे। मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच के साथ आज हमने सोशल मीडिया का एक सच जो कि अक्सर हुआ करता है अपने विचारों में एक कहानी के साथ प्रेरणा के रूप में आपके सामने लिखा है क्योंकि हम सभी जानते तो हैं कि हम सभी हैं सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं परन्तु बस समय और घटना जिसके साथ हो जाती है सच उसको मालूम होता है। और जीवन में समझ आते आते देर भी हो जाती हैं। आओ हम सभी इस कहानी के साथ अपने मन को समझते हैं। सावधानी और समझ के साथ सोशल मीडिया के उपयोग को समझते हुए राह चुनते हैं।और मेरा भाग्य और कुदरत के रंग के साथ एक सच को पढ़ते हैं।


नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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4 Comments

HARSHADA GOSAVI

12-Dec-2024 01:50 PM

Amazing

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madhura

21-Sep-2024 03:15 PM

V nice

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Babita patel

02-Jul-2024 10:25 AM

V nice

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