लेखनी कहानी -28-Jun-2024
मन में खुद को तन्हा तन्हा देख कर! मर गया हूं फिर भी ज़िंदा देखकर।
कोई है जो सुनता हाल ए दिल मेरा, खुद ही लिखता और पढ़ता देख कर।
हाल ऐसा है नहीं मेरा ही बस, बैठा हूं मैं सारी दुनिया देख कर।
क्या समझ रहें हो जल गए हैं सब, कामयाबियों का जलवा देख कर।
सब यहां पे अपने अपने काम से, जुड़ रहें है सिर्फ़ फ़ायदा देख कर।
रिश्तेदारी दोस्ती उसी से है, ऊंचा जिसका लगता ओहदा देखकर।
मैं कहां से इस जहां में आ गया, लगता कोई भी ना अपना देखकर।
फ़राज़ (क़लमदराज़) S.N.Siddiqui @seen_9807
Babita patel
01-Jul-2024 11:03 AM
V nice
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Varsha_Upadhyay
01-Jul-2024 12:06 AM
Nice one
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