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लेखनी कहानी -03-Jul-2024

        शीर्षक  - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग 
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                 हमारे जीवन में बहुत कुछ मेरा भाग्य और कुदरत के रंग में ऐसा होता है जो कि समय के साथ ही प्रेम की नजर मिलती है। जीवन में हम सभी के साथ एक ही जिंदगी की चाहत होती है और उसे हम जिंदगी समझ लेते हैं। हां  प्रेम की नजर कुछ चाहत की  होती है हमारे जिंदगी की राह प्रेम की नजर के साथ होती है और हम इसे समय के साथ-साथ सोचते हैं सच हम सभी प्रेम की नजर  रखते हैं। जिंदगी के साथ-साथ हम सभी सोचते हैं बस कल हमारे जीवन में जिंदगी में प्रेम की नजर है परंतु हम सभी अपने अहम और सोच के साथ जीते हैं।  भाग्य और कुदरत के रंग  आज भी हम और हमारी सोच प्रेम की नजर के सच कहते हैं। ऐसी ही कहानी मेरा भाग्य और कुदरत के रंग में प्रेम की नजर पढ़ रहे हैं।
                  राकेश और अनीता की जीवन में प्रेम की नजर से शुरुआत होती हैं। और जीवन के बीते पलों को सोचते हैं। अनीता की सोच अपने बचपन की यादों में होती है और राकेश से वह कहती है तुम्हें वह मेरी  प्रेम  की नजरसे देखना तुमको पहली बार याद है जब हम और तुम अपने माता-पिता से छुप-छुप कर मिला करते थे और तुम मेरे लिए आइसक्रीम भी लाया करते थे और तुम मुझे कहती थी कि तुम कुछ अच्छा पढ़ लो जिससे तुम कुछ बन सको और मैं तुमसे कहती थी मैं केवल तेरी प्रेम की नजर चाहती हूं और देखो मैं पढ़ लिखकर एक अच्छे पद पर बैंक में मैनेजर बन भी गई। तब राकेश कहता है तब भी तुम मेरी प्रेम की नजर जिंदगी रहोगी । 
            अनीता कहती है मैं तेरे एहसास की प्रेम की नजर बनना चाहती हूं और आज भी मैं तेरी चाहत  के साथ हूं क्योंकि मेरे जीवन में मेरी जमा पूंजी प्रेम की नजर है राकेश कहता है सच बात तो यह है कि मेरी आंखों  में प्रेम की नजर में खो जाने से मेरी चाहत को अब न मैं तुम्हें भूल सकता हूं और ना ही मैं कोई सच  को भूला सकता हूं तब अनीता राकेश को अपनी बाहों में भरकर कहती है। तुम अभी जिंदगी के बारे में सोचते हो। राकेश कहता है  अनीता कहती है तुम भी कितने नादान हो तुम्हारे जीवन में मेरी चाहत प्रेम की नजर से सब कुछ बदल गया और मैं चाहत और नजरों में तेरे हूं क्योंकि हम दोनों के साथ शादी करके हम दोनों मां-बाप को छोड़कर हमारी परवाह न करते हुए अपनी जिंदगी जी रहे है और तुम्हारी आंखें जाने के साथ तुम्हारा सब कुछ बदल गया। अनीता मैं तो तेरी  फिक्र करती हूं 
      राकेश कहता है तुम प्रेम की नजर के साथ मेरी बनना चाहती हो तब तुमने जीवन में एतबार और लगन हमारी अपनी हमने अपने दिल को बहुत समझाया कि तुम मेरे  जीवन की राह बन जाओ तब जीवन में हमें आगे कदम बढ़ाना है क्योंकि आज आधुनिक युग में केवल धन की ही माया है ना इश्क ना  न प्रेम की नजर यह तो केवल कुछ दिन और कुछ सालों तक कायम रहती हैं। अनीता वह तो तुम्हारी आंखें नहीं है आज बहुत दुख है परंतु वह दिन तुम भूल गए जब तुम मुझे पसंद कर कॉलेज से भगाकर ले जाने को कहते थे राकेश के चेहरे पर मुस्कान आती है और वह अनीता से कहता है तुम्हारे प्रेम की नजर आज भी भी मेरी आंखों में बसी हों। अनीता राकेश की आंखों को चूम लेती है और उसकी आंखों में नमी को राकेश हाथों से देखता है। तुम रो रही हो अनीता नहीं नहीं यह तो मेरे खुशी के आंसू हैं जो तुम मेरे साथ हो। 
           कॉलेज के समय से ही मेरी प्रेम की नजर में बसी हो ऐसा मैंने सोच रखा था और मैं तुम्हें ही अपनी जिंदगी बनना था। राकेश को गोद में लेकर अनीता उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहती है हमने अपने जीवन के बारे में क्या यही भविष्य सोचा था कि हमारा सब कुछ बदल जाएगा। राकेश कहता है भाग्य और कुदरत के रंग एक सच के साथ होते हैं और समय के साथ-साथ बच्चे अपने जीवन में अपने जीवन की राह सोचते हैं तब गलत क्या है अनीता क्या बच्चे हम ऐसे दिनों के लिए पैदा करते हैं राकेश लड़खड़ाती हुई आवाज में कहता है। शायद आजकल के बच्चों का यही फैशन है वह तो तुम्हारी आत्मनिर्भरता थी जो हमारे पास कुछ जमा पूंजी है जिससे हम दो वक्त की रोटी खा सकते हैं वरना बच्चों ने तो अपनी मर्जी के साथ हमें जीते जी मार दिया है। 
         अनीता और राकेश पार्क में बैठी हुई एक दूसरे के हाथ में हाथ डाले हुए बैठे हैं तभी एक आवाज अनीता के कानों में गूंजती है। आइसक्रीम ले लो आइसक्रीम तब अनीता राकेश से कहती है आज तुम मुझे आइसक्रीम नहीं खिलाओगे राकेश अपनी जेब से पर्स निकलता है और आइसक्रीम वाले को आवाज लगता है आइसक्रीम वाले भैया दो आइसक्रीम देना और दोनों पार्क में बैठे आइसक्रीम के साथ-साथ बीते कल के विषय में सोचते हैं। और राकेश कहता है समय के साथ-साथ प्रेम की नजर से तब अनीता कहती है चिंता क्यों करते हो मैं आत्मनिर्भर बनकर आज भी मैं कुछ ना कुछ काम करके तुम्हारे जीवन का ख्याल रखूंगी क्योंकि सच तो यही है पुरुष कमाता है और घर की पत्नी खाती है। परंतु मेरे जीवन प्रेम की नजर एक सच का भी तो यही हैं शायद हमारी जिंदगी में बस प्रेम की नजर में यही लिखा था। 
      और दोनों आइसक्रीम खाते हुए पार्क से अपने घर की ओर बीते हुए कल को याद करते हुए चले जा रहे हैं अनीता और राकेश एक दूसरे को आज भी प्रेम की नजर में प्यार रखते हैं जबकि राकेश की आंखें जाने के बाद अनीता के जीवन में सब कुछ बदल गया। परंतु अनीता को इस बात का फक्र था। कि वो आज भी  प्रेम की नजर बनकर आज जीवन जी रही थी। अनीता राकेश से कहती है मैं हमेशा प्रेम की नजर बनी  हूं। यही तो मेरी जिद थी और तुमने मेरा हमेशा साथ दिया तभी तो हम दोनों आज सही सलामत जीवन जी रहे हैं वरना हमारे जीवन में प्रेम की नजर ही बस एक एहसास है।  राकेश और अनीता अपने जीवन के रंग मंच पर बीते कल की यादों के साथ घर चले जाते हैं। 
          प्रेम की नजर ही एक कशिश होती है कि राकेश का सब कुछ बदल गया और अनीता भी आत्मनिर्भर होना चाहती हैं ।  और अपने भाग्य को एक सच प्रेम की नजर के साथ देखती है और हमें  अब परवाह नहीं है और वह अपनी जिंदगी जीना चाहते हैं हमारी कहानी में पाठकों से यह पूछना चाहता हूं कि प्रेम की नजर एक सोच और समझ के साथ साथ हमारे विचार होते हैं तब उनका आधुनिक युग में क्या फर्ज बनता है। सच तो केवल प्रेम की नजर एक सच होती है। 

*************************** नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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3 Comments

HARSHADA GOSAVI

12-Dec-2024 01:44 PM

Amazing

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madhura

21-Sep-2024 03:19 PM

V nice

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Mohammed urooj khan

05-Jul-2024 01:38 AM

👌🏾👌🏾

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