दैनिक प्रतियोगिता हेतु विषय सुना आंगन
सुना आंगन में खेलती है बचपन की यादें,
सुना आंगन में गूंथती हैं सपनों की बातें।
सुना आंगन में खिलखिलाती हैं हंसियों की आवाजें,
सुना आंगन में गूंथती हैं प्यार की बुनियादें।
सुना आंगन में चाँदनी रातों की बातें होती हैं,
सुना आंगन में सूरज की किरणें खिलखिलाती हैं।
सुना आंगन में बचपन की यादें ताज़ा होती हैं,
सुना आंगन में जीवन की राहें सुनहरी होती हैं।
सुना आंगन में प्यार की बातें होती हैं,
सुना आंगन में जीवन की खुशियाँ खिलखिलाती हैं।
सुना आंगन में सपनों की उड़ान होती है,
सुना आंगन में जीवन की सुंदरता बसती है।
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर