सदा मुबारक दिन हो तुझको केसर सा बन जाए -06-Aug-2024
सदा मुबारक दिन हो तुझको केसर सा बन जाए।
सावन की रिमझिम बूँदें जब मन को हर्षाएँ, पीहू-पीहू तब बोले पपीहा सबके मन को भाए।
पपिहा जैसे पीहू बोले सबके दिल को रिझाए, रजनी रानी ना आएँ तो वह चुप ना हो पाए।
तुहीनकण जस पड़ फूलों पर अति शोभा को पाएँ, पीहू का तस हंँसमुख चेहरा चहुँ आभा फैलाए।
सावन माह का तेज झकोरा लपट-सपट ले जाए, वैसे ही चंचल पीहू रानी सरपट भागी जाए।
अंशुमान की प्रात-रश्मियांँ जग को सुखी बनाएंँ, प्यारी पीहू के दामन में डाल सभी चली जाएँ।
भंँवरे आके आज के शुभ दिन गीत खुशी के गाएँ, फूलों की ख़ुशबू जैसे पीहू चौतरफा यश फैलाए।
चंदन जैसी शीतलता गह शांत,शालीन कहाए, बुरी नज़र जो डाले तुझ पर तू शोला बन जाए।
जन्मदिवस तेरा यह लल्ली खुशियों की धार बहाए, सदा मुबारक दिन हो तुझको केसर सा बन जाए।
जीवन तेरा हरा-भरा हो पतझड़ कभी न आए, मधुमास सा जीवन तेरा सुंदरता फैलाए।
वर्षा रानी रिमझिम आकर सरिता सुखद बहाएँ, पुरवाई का तेज झकोरा विघ्नों को दूर भगाए।
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साधना शाही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश