लेखनी कहानी -07-Aug-2024
तीज के पावन त्यौहार की शुभकामनाएं जी🙏
तीज का दिन आज आया, पर कहीं झूले नहीं हैं
बात सदियों से पुरानी, तीज के दिन की कहानी पहन कर हाथों में कँगन, खूब इतराती दीवानी अब जमाना चाहे बदला, बात कुछ भूले नहीं हैं
पर कहीं झूले नहीं हैं
तीज के दिन माँ बनाती, थी बहुत घर में मिठाई झूला झूलेंगे सभी हम, सबको उपवन लेके आई अब नहीं दरख़्त बचे हैं, फूल अब पिले नहीं हैं
पर कहीं झूले नहीं हैं
ख़त्म होती जा रही हैं, अपने पुरखों की निशानी बच्चे सो जाते हैं ख़ुद सुनते नहीं कोई कहानी क्या हुआ"सचिन" तेरे अब शब्द फुर्तीले नहीं हैं
पर कहीं झूले नहीं हैं
© सचिन गोयल गन्नौर शहर,सोनीपत 19-08-2023 Insta@,, Burning_tears_797