Sadhana Shahi

Add To collaction

आंँखों के सपने सभी आज टूटे (नज़्म)-07-Aug-2024

नज़्म

सरस,स्नेह के सपने जिनसे जुड़े थे आँखों के सपने सभी आज टूटे।

दर्दे दिल का दवा जिसको समझे, तन्हाइयों में वो अब मुझसे रूठे।

दिल की जो बातें कहीं हमने उनसे, सरेआम करके किये हमको ठूठे।

हमपे जो बीता वो जाना न कोई, बिन समझे तोहमत दिया मुझको झूठे।

एक दिन तुम्हें छोड़ जाऊंँगा मैं तो, आशा बंँधी जिससे वो ही हैं रूठे।

तन,मन,व धन जिसपे वारा था मैने, नफ़रत हलाहल दिये वो अनूठे।

उससे मिले दिल दिन हम तो भूले, गिला और शिकवा का दामन में छूटे।

या रब!मुझे झट उठा ले जहांँ से, भरोसे की छतरी का टूटा है मूठे।

साधना शाही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

   0
0 Comments