आयत की मजेदार बाते
जैन- " वो दिख रहा है तुम्हारी शक्ल पर। जब इतना ही डर लगता है तो एयरप्लेन पर बैठी ही क्यो। "
आयत- " देखिये मैने डर कर आपका हाथ पकड़ लिया। इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि आप कुछ भी बोलते जायेंगे। देखिए आप अपनी हद में रहिये । "
जैन- " और आप भी। "
इतना कहकर जैन ने अपनी आँखों को दोबारा से बंद करके खामोशी से बैठ जाता है।
और आयत उसे देखते हुए मन ही मन में ये सोचने लगती है कि अजीब इन्सान है ये इतनी सी बात पर इतना भड़क गया। वैसे गलती मेरी ही थी । मुझे इस तरह से उसका हाथ नहीं पकड़ना चाहिए था। पर मैने ऐसा भी कुछ नहीं किया था कि वो बात करने की तमीज ही भूल जाए । वैसे बहुत ही खडुस इन्सान है।
इतने में उसे जैन अपनी आंखें खोलता है और देखता है तो आयत उसी की तरफ देख रही होती है तो जैन उससे कहता है ......
" क्या है तुम इस तरह से मुझे क्यों देख रही हो । "
आयत- " वो मैं सोच रही थी कि क्या तुम्हें कोई परेशानी है । "
जैन- " अगर हो भी तो तुमसे क्या । "
आयत - " वैसे मै क्या सोच रही थी कि क्यो ना हम लोग बातें करें । वो क्या है ना मैं थोड़ा बोर हो रही हूँ । वैसे तुम्हारा नाम क्या है ? मेरा नाम आयत है । "
जैन- " देखो मेरे सर मे वैसे ही बहुत दर्द हो रही है। और मुझे तुमसे कोई बात वात नहीं करनी है । "
आयत मन ही मन में कहती खडूस इन्सान नहीं तो।
जैन आयत की तरफ देखकर कहता है......
" अब क्या ? "
आयत- " कुछ भी नहीं। वो मै बस ये सोच रही थी कि वो बचपन मे ना मेरे घर मे एक मासी आती थी ......."
आयत के इतना कहते ही जैन उसे घुर कर देखने लगता है। तो आयत कहती है .......
" मासी यू नो मेड जो घर में काम करने आती हैं। "
जैन( अजीब सी शकल बनाकर) - " हाँ तो मै क्या करू। "
आयत- " हाँ.... तो उनका नाम सरला था। उनका ना एक बेटा था । उसके साथ मै बचपन मे बहुत खेलती थी। वो ना बचपन से ही बहुत अननोइंग, खडुस और झगड़ालू था । तो मै सोच रही थी कि तुम कही सरला आंटी के बेटे तो नहीं हो। "
जैन (गुस्से से कहता है) - " एक्सक्यूज मी , यू नौ वाट। मेरे घर में भी ना एक मेड आती थी मेरे बचपन में उनका नाम रागनी था। उनकी भी ना एक बेटी थी। उसका नाम आयत था वो बचपन से ही ना बहुत बोलती थी और मुझे ना उसकी आवाज जहर लगती थी और तो और वो मुझे बचपन से ही पसंद नहीं थी ना ही मै उसके साथ कभी खेला। तो कही तुम रागिनी आंटी वाली आयत तो नहीं हो । "
आयत( अजीब सी शक्ल बनाकर) - " नहीं ........"
जैन - " नहीं तो अब एकदम चुप करके बैठी रहना खामोशी से। "
कहानी आगे जारी रहेगी।