ए मेरे वतन (कविता) -13-Aug-2024
विषय- ऐ मेरे वतन
अभीष्ट मार्ग पर सदा खेलता वतन मेरा राह में जो विध्न हों धकेलता वतन मेरा स्नेह और शालीनता सकेलता वतन मेरा सतर्क हो यह पथ चुने ना झेलता वतन मेरा।
वतन मेरा, वतन मेरा, वतन मेरा, वतन मेरा, अभीष्ट मार्ग पर सदा खेलता वतन मेरा।
जात-पात,ऊँच-नीच को कभी न मानता अंतरैक्य मंत्र को यह सदा ही तानता प्रमाण भूत वेद को यह सदा ही भानता पुराणपुरुष पितृ को पूजता वतन मेरा।
वतन मेरा, वतन मेरा, वतन मेरा, वतन मेरा, अभीष्ट मार्ग पर सदा खेलता वतन मेरा।
दंभ को यह त्याग कर विनम्रता के संग चले अनाथ यह न है कभी सनाथ सा यह ढंग चले भाग्यहीन ना कभी अधीर भाव तंग चले जन गण मन सब एक हैं न जूझता वतन मेरा ।
वतन मेरा, वतन मेरा, वतन मेरा, वतन मेरा, अभीष्ट मार्ग पर सदा खेलता वतन मेरा।
साधना शाही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
Arti khamborkar
21-Sep-2024 09:14 AM
v nice
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