महान दिवस 2 अक्टूबर-02-Oct-2024
दिनांक-0 2. 10. 2024 दिवस- बुधवार शीर्षक -महान दिवस दो अक्टूबर
1-साबरमती के संत
साबरमती के संत तुझे मैं करूंँ प्रणाम, पराधीन भारत में ना किया आराम। हिंसा का सामना सदा अहिंसा से किया, फिर क्यों हिंसक ने तेरी इहलीला लिया। सत्य राह को चुने और सत्य पर चले, विचार तेरे अटल थे टाले नहीं टले। शांति के पुजारी थे ना जूटजटा जटाधारी थे, स्वदेशी वस्तुओं को पूजने वाले पुजारी थे। आपका शरीर आज ना हमारे बीच है, नैतिक मूल्य आपका हमको रहा सींच हैं। आज देश हर्ष से अहिंसा दिवस मना रहा, फिर भी हिंसा ही क्यों चारोओर छा रहा?
2-अहिंसा के पुजारी
दो अक्टूबर की तिथि हर भारतीय को प्यारी, इसी दिन अवतरित हुए थे अहिंसा के पुजारी। भारतवर्ष को जिसने तारा वह था देश का बापू प्यारा, इहलीला को जिसने छीना वह गोडसे था हत्यारा। भारत की आज़ादी का सपना जिसने साकार किया, गांधी उसमें सबसे आगे अहिंसा से हिंसा का संहार किया। खादी की धोती सदा वो पहने रघुपति राघव गाए, टैगोर ने कहा महात्मा,बोस से बापू कहलाए। एक लाठी के दम पर तोपों के छक्के छुड़ा दिए, ईंट से ईंट बजा उनकी आज़ादी को खड़ा किए। सोच में क्रांति जो लाए थे मोहनदास करमचंद गांधी थे, संघर्षरत रहे जीवन भर,पर सदा अहिंसा वादी थे।
3-दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री
झंझावातों से लड़कर जीवन जिसने था गुज़ारा, दूजा प्रधानमंत्री भारत का,लाल हमें था प्यारा। मुगलसराय में ये थे जन्मे पूरे भारत के हैं लाल, दुग्ध,हरित क्रांति को हवा दिए गुदड़ी के लाल किए थे कमाल। जय जवान,जय किसान दिए नारा व्यक्तित्व बड़ा ही महान, मंत्र विलक्षण दिए देश को भौतिकता का ना था ज्ञान। रहस्यमयी था अंत हुआ वास्तविकता कोई जान न पाया, ग्यारह जनवरी उन्नीस सौ छाछट रूस में काल कहांँ से आया!
साधना शाही, वाराणसी
Arti khamborkar
19-Dec-2024 03:42 PM
amazing
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