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तुझे

कुछ तेरी सुनना कुछ अपनी  सुनाना है तुझे,
मिलकर  अपने  सीने   से  लगाना  है  तुझे।

दूँ इतना प्यार की मुहब्बत की इंतेहा कर दूँ,
रस्मों रिवाज़ रिवायत  सब  भुलाना है तुझे।

इस  ख़ुशी-ए-वस्ल  से  झूम-झूम  जाऊँ  मैं,
अपनी  गोद  में   फिर   उठाना    है    तुझे।

तू हो  मैं होऊँ  ना हो  कोई और  दरमियान,
अपनी   बाहों में   भर कर   घुमाना है तुझे।

तुम्हारे  सामने  मेरे लब ख़ामोश हो जाते है,
कितना करते है प्यार तुझसे जताना है तुझे।

ख़ुशी से  तू  खिलखिला  कर  जोरों से हंसे,
थोड़ा  हँसना  है  और थोड़ा सताना है तुझे।

कैसे  कटे  है, बिन  तेरे  मेरे  दिन और रात,
बैठके अपनी एक एक बात  बताना है तुझे।

इस दिल की ढेरों बातें, मुझे तुमसे करनी है,
तमाम रात बातें कर कर  के जगाना है तुझे।

मुद्दत से तेरे चेहरे को गौर से नहीं देखा मैंने,
हसरत-ए-दीदार की  प्यास  बुझाना है तुझे।

एक दूसरे की आँखों में  कुछ ऐसे खो जाएँ,
मेरी आँखों से तेरी आँखें  ना हटाना है तुझे।

कितना  बेचैन रहा हूँ  मैं  तुझसे  दूर रहकर,
मेरी  उस  बैचेनी  से  आज  मिलाना है तुझे।

सुना है  मेरे बिन तू बहुत  रोया है  तन्हाई में,
बहुत  रो  लिया तू  और ना  रुलाना  है तुझे।

बहुत   पी   लिए   हिज़्र   के  कड़वे घूट तूने,
उन तमाम कड़वी यादों को  भुलाना है तुझे।

तेरे मासूम चेहरे पे उदास आँखें नहीं जचती,
गुजरी हुई बातों को दिल से मिटाना है तुझे।

कई अरसे से तू, चैन की  नींद नहीं सोया है,
अपनी गोद में तेरा सर रख सुलाना है तुझे।

'निक्क' मैं  वापस  लौट  आया हूँ पास तेरे,
संग  मेरे  फिर   नई  यादें   बनाना  है तुझे।

लेखक : निखिल घावरे "निक्क"
भोपाल (मध्यप्रदेश)
दिनाँक : 08/10/2024©

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3 Comments

Anjali korde

23-Jan-2025 06:08 AM

👌👌

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Arti khamborkar

19-Dec-2024 03:42 PM

nice

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HARSHADA GOSAVI

06-Dec-2024 11:56 PM

V nice

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