Vipin Bansal

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पैसा

कविता - ( पैसा )पैसा आदमी का वजूद है।

इसके बिना आदमी अछूत है ।।

आबरू जमीर वजूद है पैसा ।
जिंदगी का दूसरा नाम है पैसा ।।

पैसा आदमी का अंग है !
इसके बिना आदमी अपंग है ।।

बनते बिगड़ते रिश्तों का नाम है पैसा।
आदमी के इंसाफ की तलवार है पैसा ||

जिंदगी और जिंदगी का कफन है पैसा ।
भाई से भाई का अंत है पैसा |

आदमी की आदमियत पर ।
पैसों की धूल चढ़ी है ।।

तभी तो सोने की चिडिया।
विदेशी पिंजरो में गुलाम पड़ी है।।

         विपिन बंसल

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4 Comments

जबरदस्त 👌👌

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Zakirhusain Abbas Chougule

28-Oct-2021 12:51 AM

Nice

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Niraj Pandey

27-Oct-2021 07:47 PM

बहुत खूब

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