पैसा
कविता - ( पैसा )पैसा आदमी का वजूद है।
इसके बिना आदमी अछूत है ।।
आबरू जमीर वजूद है पैसा ।
जिंदगी का दूसरा नाम है पैसा ।।
पैसा आदमी का अंग है !
इसके बिना आदमी अपंग है ।।
बनते बिगड़ते रिश्तों का नाम है पैसा।
आदमी के इंसाफ की तलवार है पैसा ||
जिंदगी और जिंदगी का कफन है पैसा ।
भाई से भाई का अंत है पैसा |
आदमी की आदमियत पर ।
पैसों की धूल चढ़ी है ।।
तभी तो सोने की चिडिया।
विदेशी पिंजरो में गुलाम पड़ी है।।
विपिन बंसल
ऋषभ दिव्येन्द्र
28-Oct-2021 01:10 PM
जबरदस्त 👌👌
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Zakirhusain Abbas Chougule
28-Oct-2021 12:51 AM
Nice
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Niraj Pandey
27-Oct-2021 07:47 PM
बहुत खूब
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