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शब ए बारात-13-Feb-2025

प्रतियोगिता हेतु 
दिनांक: 13/02/2025
स्वैच्छिक 
शब- ए- बारात 

चांदनी रात में 
जब निकला चांद।
खूबसूरती थी चारों तरफ, 
चमक रहा था आसमान।
इबादत के लिए 
लोगों ने हाथ आगे बढ़ाया। 
अमन और शांति के लिए 
हाथों को ऊपर उठाया।
जगमग हो गया सारा चमन,
शब-ए-बारात का जब 
चांद नज़र आया।
रहमतों की रात आई है,
सब आबाद रहें। 
खुश रहें और होंठों पर 
मुस्कान रहे।
पाकीज़ा रात है
इबादत की रात है।
गुनाहों से माफी की 
अल्लाह से दरख्वास्त है।
दुआएं करना वतन के लिए 
रहमते बरसती रहें। 
सितारों की बुलंदी चमकती रहे
खुशियों की रौशनी मिलती रहे।
सब पर कृपा बरसे नूर की
हर घर में अन्न और जल की
नदियां बहती रहें।
कहीं पर ना हो भूखमरी
जहां में तरक्की चमकती रहे।
बच्चों के चेहरे खिले रहें खुशियों से
रोटी हर घर में मिलती रहे।
बीमारियों का हो सर्वनाश 
सेहत इंसान के साथ चलती रहे।
आया दिन खुशियों का
रात भी महक रही है।
इबादत खुदा की 
सबको खुशियां दे रही है।।

शाहाना परवीन "शान"...✍️
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश 

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3 Comments

hema mohril

26-Mar-2025 05:01 AM

awesome

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Varsha_Upadhyay

13-Feb-2025 08:26 PM

Very nice

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Babita patel

13-Feb-2025 06:22 PM

V nice

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