ग़ज़ल
🌹🌹🌹🌹ग़ज़ल 🌹🌹🌹🌹
ह़सीन चम्पा,चमेली,गुलाब कोई नहीं।
ह़ुज़ूर आप का जग में जवाब कोई नहीं।
लगे तो कैसे लगे दिल हमारा मकतब में।
यहां पे आप के रुख़ सी किताब कोई नहीं।
पढ़ा जो दिल की नज़र से तो हमने ये जाना।
निस़ाबे-इ़श्क़ के जैसा निस़ाब कोई नहीं।
हज़ार बज़्मे-तसव्वुर में हैं ह़सीं लेकिन।
मिसाल आप की आ़ली जनाब कोई नहीं।
क़दम-क़दम पे न बख़्शा हो तजरिबा जिसने।
हमारी ज़ीस्त का ऐस तो बाब कोई नहीं।
वो अपने ख़र्च को रखते हैं डायरी में सदा।
हमारे ख़र्च का उनपर कोई ह़िसाब नहीं।
पिए जो जाम निगाहों के तो यक़ीन आया।
निगाहे-नाज़ के जैसी शराब कोई नहीं।
फ़राज़' शेअ़रो-सुख़न मे ही ग़र्क़ रहते हो।
जहां में आपसा ख़ाना ख़राब कोई नहीं।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद।
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hema mohril
24-Mar-2025 03:08 AM
awesome
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Sarfaraz
23-Mar-2025 12:42 PM
Shukriya
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