ग़ज़ल
🌹🌹**ग़ज़ल**🌹🌹
उनका रंग-ए-हिना देख कर।
क्या करें आइना देख कर।
मेह़वे ह़ैरत है डल-झील भी।
उनका तर्ज़-ए-शिना देख कर।
दिल धड़कता है हरपल मिरा।
फ़र्क़े-फ़ुक़्र-ओ-ग़िना देख कर।
वाक़िया हम को इबलीस का।
याद आया मिना देख कर।
आइएगा इधर भी कभी।
कोई ख़ाली दिना देख कर।
रुख़ से चिलमन तो सरकाइए।
इ़ल्म हो क्या बिना देख कर।
तुम परेशान क्यों हो फ़राज़।
मेरा ख़ाली इना देख कर।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ उ. प्र.।
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