क्या करेंगे जान कर क़ौम के इतिहास को (ग़ज़ल)
1. क्या करेंगे जान कर क़ौम के इतिहास को,
ढो रहा जब आदमी ख़ुद से अपनी लाश को!
2. याद रखें दोस्तों ! ज़ुल्म के एहसास को
अपने आस-पास को , टूटते विश्वास को!
3. मुफ़लिसों की झोपड़ी जल के राख हो गई,
छू रहा ऊंचा महल नीलगूँ आकाश को!
4. गोलियों से भून दें या कुचल दें बूट से,
भुखमरी से जूझते आदमी की प्यास को!
5. चार दिन किसी दलित के घर में रह के देखिए,
जान पायेंगे तभी त्रासदी - सन्त्रास को!!
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