Komal Khatri

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मन करता हैं -08-May-2025

          मन करता है 


मन करता है,बादल बनकर आसमान में उड़  जाऊ,
बंजर धरती में, बारिश बनकर मैं बरस जाऊ ।

मन करता हैं फसलें बनकर खेतो में लह-लहाऊ,
बन अनाज मैं भूखों की भूख मिटाऊ ।

मन करता हैं पानी बनकर नदियों संग बहती जाऊ,
प्यास बुझाऊ जीवों की और सागर (ईश्वर) में मिल जाऊ ।


      कोमल खत्री,हज़ारीबाग़ (झारखण्ड) ।

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