अतृप्त मन
भाग २
अब मैने मन बना लिया था कि में आज रात यहां पर रुकूंगा।और में घर में खाना खाने के बाद आ कर भैया के साथ उनके कमरे में सोने चला गया।ऊपर बेड पर भाभी सो रही थी और में और भैया नीचे जमीन पर चारपाई पर लेट गए ।कमरे की लाइट बंद कर दी ।तब बाकी लोग भी जा कर अपने कमरे में सो चुके थे।उनकी बेटी पिंकी अपने बुआ मीना दीदी के साथ उनके कमरे में सोई थी।अब सिर्फ हाल का ही एक लाइट और आंगन की लाइट जल रही थी ।जो कि कमरे बनी स्काई लाइट से थोड़ी थोड़ी अंदर आ रही थी।
हम दोनो काफी देर तक बात करते रहे।फिर कुछ देर बाद भैया थक गए थे तो उन्हें जल्दी नींद आ गई और वो सो गए ।में चारपाई पर पड़े पड़े करबट बदल रहा था और मुझे नींद भी नहीं आ रही थी।और कही न कही में नींद की आगोश में आना भी नहीं चाहता था।में देख ना चाहता था कि भाभी चिल्लाती क्यों हैं।
तभी रात के दो बजे ।अब नींद के गोद में धीरे धीरे में आ रहा था तभी मुझे अहसास हुआ कि चारों ओर कुछ गहरा सन्नाटा छा गया।और गर्मी भी बढ़ने लगी मैने आंखे खोली तो चारों ओर अंधेरा छाया हुआ था।तभी मुझे किसके चलने की आहट आने लगी ।वो आवाज अब धीरे धीरे बढ़ते हुआ दरवाजे की दूसरी और से आने लगी।कोई जैसे दरवाजे के उस पार कमरे के बाहर खड़ा था।अब आवाज धीरे धीरे कमरे में आने लगी।में सोच ही नहीं पा रहा था कि दरवाजा बंद होते हुए भी कैसे कोई अंदर आ सकता है।वो कोई औरत की साया लग रही थी।अंधेरे में भी में देख पा रहा था उसे।वो भाभी के बेड के तरफ बढ़ने लगी थी ।में अब भैया को बुलाने के लिए मुंह खोला तो मेरे मुंह से आवाज नहीं आ रही थी।हाथ पैर अपने जगह से हिल भी नहीं रहे थे।
वो साया अब भाभी के पास जा के उनसे संभोग करने की कोशिश में लगा था।भाभी अब नींद से जाग कर चिलाने को हो रही थीं पर नहीं पा रही थी।उनके गला को कोई जैसे पकड़ रखा हो।कुछ देर बाद अब वो साया हट गई और भाभी चिल्लाने लगी।तब भैया उठे और उनके पास जा के हाथ को थामे रखा।में भी अब उठ चुका था।कुछ देर में भाभी शांत हुई और वापस सो गई।
अब नींद भी नहीं आ रहा था।और में सोच रहा था कि जो मैने देखा क्या ये सच था या मेरा भ्रम ।और अगर सच तो वो कौन थी साया तो कोई लड़की की लग रही थी ।और में सोच ही नहीं पाया।सुबह हो चुकी थी अब में हाथ मुंह धोने घर चला गया।