Ham tumhen chahte Hain aise
जयराज सिंघानिया, सिंघानिया खानदान के बड़े बेटे थे। उम्र 32 साल, क़द छह फीट से ज़्यादा, सांवला रंग, बड़ी-बड़ी काली आँखें, चेहरे पर दाढ़ी और बड़ी-बड़ी मूँछें। उन्हें अपने काम से बहुत प्यार था।
कई साल पहले उन्होंने एक अंतर्राष्ट्रीय मॉडल से शादी की थी। उनका रिश्ता ज़्यादा देर नहीं चला। एक बच्चे को जन्म देने के बाद वह मॉडल जयराज को छोड़कर चली गई क्योंकि उसे अपने करियर से प्यार था। जयराज के साथ रहने के लिए उसे अपने करियर से समझौता करना पड़ रहा था। एक बच्चे की माँ तो वह हरगिज़ कहलाना नहीं चाहती थी।
उसे आजादी प्यारी थी और वह आजादी के साथ रहना चाहती थी। युग को छोड़कर वह चली गई और फिर कभी वापस नहीं आई। जय को अपने बेटे युग से बेहद प्यार था। वह अपने काम की वजह से उसे पूरा ध्यान नहीं दे पाता था, इसलिए उसकी माँ जया ही उसके बेटे की देखभाल करती थी।
इसके अलावा, उसके दो छोटे भाई समर सिंघानिया और ऋषभ सिंघानिया थे। दोनों की शादी हो चुकी थी।
समर सिंघानिया की पत्नी रेखा ज़िदगी की तीखी थी और बोलते हुए किसी का लिहाज़ नहीं करती थी। समर खुद भी उससे डरता था। ऋषभ की पत्नी माला ज़िदगी की मीठी मगर बहुत तेज-तर्रार लड़की थी।
समर सिंघानिया का एक बेटा अंश था, तो ऋषभ सिंघानिया की एक बेटी निशा थी। ये तीनों बच्चे एक ही उम्र के थे और तीनों प्ले स्कूल जाते थे।
रेखा और माला दोनों चाहती थीं कि उनकी छोटी बहन से जय की शादी हो। इसलिए वे अक्सर अपनी बहनों को घर बुला लेती थीं। उन्हें जय के आस-पास रहने के लिए कहती थीं। यह बात अलग थी कि जय ने कभी किसी में दिलचस्पी नहीं ली।
जयराज सिंघानिया कभी एक खुशमिजाज नौजवान हुआ करता था। मगर धीरे-धीरे वह बहुत बदल चुका था। अलीशा के बाद वह किसी के साथ भी रिश्ते में नहीं पड़ा था। ना ही उसे शादी करने में कोई दिलचस्पी थी। वह मानता था कि अगर वह शादी करता है तो शायद युग के लिए अच्छा नहीं होगा और वह भी किसी के साथ एडजस्ट नहीं कर पाएगा।
अपनी ज़रूरत के लिए उसके वन-नाइट स्टैंड तो काफ़ी रहे। मगर वे सिर्फ़ एक रात के लिए ही थे, उसके बाद उसने उनकी तरफ़ मुड़कर नहीं देखा।
वह अपने पिता की इस बात से परेशान था कि 32 साल के नौजवान के लिए 19 साल की लड़की, क्या यह सही रहेगा? वह शादी किसी भी हालत में नहीं करना चाहता था। मगर उसे अपने पिता के आगे झुकना पड़ा।
"वैसे आपको एक बार और सोच लेना चाहिए," जया ने अपने पति राजन से कहा।
"मैंने बहुत सोच-समझकर फ़ैसला किया है। तुम जानवी को जानती हो। मुझे वह लड़की पसंद है।"
"मैं जानवी को जानती हूँ। इसीलिए कह रही हूँ। जानवी एक हवा का झोंका है। एक खुशमिजाज लड़की, इतने दुखों में भी खुश रहती है। जब वह हँसती है तो पूरा घर हँसने लगता है।"
"तो क्या लगता है हमारा बेटा और वह दोनों खुश रहेंगे? मुझे जानवी की भी फ़िक्र है।"
"फ़िक्र मत करो। जय जानवी को बहुत खुश रखेगा। पलकों पर बिठाकर। क्या तुम्हें नहीं लगता हमारे बेटे को भी एक ठंडी हवा के झोंके की ज़रूरत है?"
"आपकी बातें मुझे समझ नहीं आतीं," जया ने कहा।
"तो क्या उसकी फैमिली मानेगी जय के लिए? उनकी उम्र में इतना फ़र्क है।"
"मेरी जानवी के दादा से बात हो गई है। वह तैयार हैं और जानवी कभी अपने दादा की बात नहीं मानती। जैसा वे कहेंगे, वैसा ही करेगी। तुम अच्छे से जानती हो।"
"सही बात है। बिन माँ-बाप की बच्ची से कौन पूछेगा उसकी चॉइस?"
"इसीलिए तो जानवी को अपने घर ले आ रहा हूँ। वह मेरे स्वर्गवासी दोस्त की बेटी है। तुम बन जाना उसकी माँ।"
"हाँ, मुझे भी लगता है। जय की पत्नी और उसके बेटे दोनों की माँ मुझे ही बनना पड़ेगा," जया ने मुस्कुराकर कहा। उसे अपने पति के फ़ैसले, जय और जानवी की शादी का, समझ नहीं आ रहा था।