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दीवाना इश्क

लेखनी के दर्शको के खास कहानी पढ़िएगा जरूर क्योंकि ये मेरी पहली कहानी है। तो चलिए इस कहानी का श्री गणेश करते है।

सुबह सुबह मिश्रा निवास मे रोज की तरह ममता जी की चीखने की आवाज मौहल्ले वालों को सुनाई देने लगी।
ममता जी चीखकर बोलती है, "अरे ओ मैडम साहिबा सुबह के छः बज चुके पर तेरी सुबह की शुरुवात कब होगी पेट में चूहे दौड़ रहे है और मैडम चैन की नींद सो रही है अरे ओ मीरा मैडम जी उठ जाइए कब तक मैं चीखती रहूंगी।"

मिश्रा निवास के स्टोर रूम में, एक पतले से दरी पर जो लगभग बहुत जगह से फटी हुई थी लेकिन उसको काफी बार सिला गया होगा जिसकी वजह से वोह दरी कम फटी लग रही थी। उस पर एक मासूम चेहरे की लड़की सिकुड़ी अवस्था में पड़ी हुई थी और उसने एक पतला सा गला चादर ओढ़ रखा था शायद उस लड़की को ठंड लग रही थी और वोह गहरी नींद में सो रही थी तभी उस पर किसी ने एक ग्लास पानी का फेक कर मारा और उस लड़की की आंख खुल जाती है।
आपको बता दे यही हमारी कहानी की बेबस नायिका मीरा है जिसे ममता जी चीख चीखकर बुला रही थी और पानी भी ममता जी ने ही पानी फेक कर मीरा के मुंह पर मारा और बोला, "करमजली पूरे दिन चार काम क्या कर लेती है अपने आप को महारानी समझती है अब चल सुबह की चाय और नाश्ता बना और आगे से इतना लेट हुआ ना तोह अगली बार ऐसी सजा मिलेगी की तेरी रूह की रूह कांप जाएगी समझी चल अब काम पर लग फिर दुकान से सामान लाना और उसके बाद आचार और पापड़ बनाना फिर कस्टमर के कपड़े भी सिलना समझी।"
अब जानते है मीरा की बेबस जिंदगी के बारे में, जब मीरा सात साल की थी उसके माता पिता का सड़क हादसे में देहांत हो गया जिससे उसके ताऊ और ताई जी ने प्रॉपर्टी के कारण मीरा को अपने पास रखा और जैसे ही मीरा ताऊ और ताई जी के साथ रहने आई, ताऊ और ताई जी ने उसका स्कूल छुड़वाया और उसके बाद उसे घर की नौकरानी बना दिया और आज ताऊ और ताई जी मीरा के घर में रहते है और मीरा अपने ही घर में नौकरानी बनकर रह गई है।
ताई जी की बात सुनकर मीरा किचन में चली जाती है।
जैसे ही चाय बनकर तैयार हो जाती है तोह मीरा चाय लेकर खाने की टेबल पर जा ही रही होती है कि ममता जी की बड़ी बेटी मायरा से टकरा जाती है जिससे चाय मीरा के हाथ पर गिर जाती है और मीरा का हाथ जल जाता है लेकिन मायरा रानी अपनी गलती मानने की बजाय एक थप्पड़ मीरा को लगाते हुए बोलती है, "भगवान ने तुम्हे दो दो सही सलामत आंखे दी है इसके बाबजूद भी तुमने चाय फैला दी अब दूध और चीनी का रुपया तेरा बाप भरेगा क्या।" इतना कहते ही ममता जी भी आ जाती है और चाय को फैला देख समझ जाती कि मीरा ने कोई गलती की है इसलिए उनकी नाक पर जो गुस्सा हर समय सवार रहता है वोह सिर तक पहुंच गया था उन्होंने मीरा मायरा से बिना पूछे ही मीरा के एक गाल पर थप्पड़ जड़ दिया और ममता जी बोली, "सत्यानाशी पूरे घर में किसी को भी चैन से रहने नही देगी और ये चाय का नुकसान किया है इसका भुगतान करके ही पता चलेगा और भुगतान यह आज तुम्हे खाना नही मिलेगा और एक घूंट पानी भी नहीं पियोगी समझी तुम।"
तभी ममता जी के पति गजेंद्र मिश्रा जी भी आ जाते है और ये सब देखकर गजेंद्र जी को गुस्सा आ जाता है और मीरा के जले हुए हाथ को मरोड़ते हुए बोलते है, "ये को तुम मुफ्त की रोटियां तोड़ती हो बाहर जाके दिखाओ और कमाके दिखाओ तब तुम्हे पता चलेगा की रुपए कैसे कमाते है।" इतना कहकर मीरा का हाथ छोड़कर गजेंद्र जी अपनी छोटी सी चाय की दुकान पर चले जाते है।
वैसे मिश्रा जी का घर उनकी कमाई से नही बल्कि मीरा की कमाई से चलता है क्योंकि मीरा कपड़े सिलती है और उसी की बदौलत मिश्रा जी का गुजर बसर हो पाता है।
जैसे ही गजेंद्र जी, मीरा का हाथ छोड़ते है तोह मीरा के हाथ की जलन रगड़ खाने से और भी बढ़ जाती है लेकिन मीरा डटकर वही खड़ी रहती है तभी ममता जी, मीरा से बोलती है, "अब यहां खड़े रहकर और नुकसान करने का इरादा है मैडम साहिबा, चल अब इस जमीन पर जो चाय फैली है उसे साफ कर फिर किराने का सामान लेकर आ।"
मीरा पहले किचन में जाती है ममता जी से छुपकर हाथ पर घी लगा देती है और फिर जहां चाय फैली हुई थी वहां साफ कर देती है।
फिर बाजार में समान लेने जाती है जैसी ही मीरा किराने का सामान लेकर दुकान से निकलती है और रोड पर आ जाती है घर जाने के लिए उसे पैदल ही चलना था जैसे ही वोह रोड पर चल रही होती है तभी मीरा एक गाड़ी टक्कर मार देती है जिससे मीरा का सभी समान गिर जाता है और गाड़ी थोड़ी दूरी पर जाकर रुक जाती है।
Guys कहानी का पहला चैप्टर अच्छा लगा हो तोह अपनी समीक्षा अवश्य दे।
Next chapter मे पढ़ेंगे हीरो के बारे में।


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