Add To collaction

खिड़कियाँ

खिड़कियाँ,,,

घर क्या है दो-तीन दरवाज़े और 
एक-दो खिड़कियों का ही मेल है।
वो भी अगर बड़ा हो तो!
 कई बार बिना खिड़कियों 
का भी घर होता है।
जहाँ से सुखद साँस लेना, 
जीवन महसूसने जैसा होता है।
अक्सर ही बिना खिड़कियों वाले 
घर में जीवन का संघर्ष 
अन्तहीन होता है।
फिर भी ख़ूब रौनक रहती है
इन घरों में और चहल -पहल भी।
क्योंकि छोटे घरों के आसपास
और भी ज़िंदगियाँ ,उसी जद्दोजहद
में  दिन- रात लगी होती हैं।
उन छोटे घरों में सुख दुःख भी
अधिकतर  साझे हो जाते हैं।
दिन में कमाना ,रोज़ी जुटाना और
रात में ग़म खा कर ,सुख को पी कर
इसलिए सो जाना होता है
क्योंकि उनके सोने के बाद 
ही सुबह होगी और 
काम की,रोटी की ,पानी की
जुगत करने को एक ही करवट में सोना
और अंगड़ाई लेकर उठना होता है।
बाल्टी में पानी और स्टोव में हवा भरते ही
भक्क से उसके जलने से
जाग जाते हैं उनके बच्चे भी।
और लग जाते हैं अपने कामों में।
कई बार जब माँ -बाप 
नहीं कमा कर ला पाते तो 
बच्चे अभिभावक बन जाते हैं।
उनकी कमाई से स्टोव जल उठता है
और बन जाता भात के साथ 
तेज़ मिर्च -पानी वाली आलू की सब्ज़ी।
वो मसाले नहीं डालते क्योंकि
मिर्च और नमक के ज़बान 
से लगते ही खारापन  जीभ पर  रह जाता है
जो आँखों और नाक के खारेपन से 
मिलता -जुलता है ,उदरतृप्ति के नाम पर
एक- दो डकार उनकी 
भूख पर रोक लगाता है और
बाक़ी का पेट पानी से भर जाता  है।
जिन घरों में खिड़कियाँ नहीं होती हैं
ज़िंदगियाँ वहाँ भी साँस लेती हैं।
*सत्यवती मौर्य


   5
3 Comments

उम्दा, जीवन की सच्चाई

Reply

जबरदस्त 🙏🙏

Reply

Niraj Pandey

29-Oct-2021 12:43 AM

बहुत खूब

Reply