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दीपावली का तोहफ़ा

दीपावली का तोहफ़ा


सीमा उसदिन मालिक के बेटे ऋषि की किताब चुरा कर ले आई थी उसे पढ़ने का बहुत शौक था। उसकी माँ लोगों के घरों में काम करके गुजारा करती थीं।

माँ ने उसके हाथ में किताब देखकर बहुत मारा। था।

सीमा रोते रोते सो गई थी। दूसरे दिन माँ ने ऋषि को किताब वापस लौटा दिया था । 

आज सीमा मालिक के बेटे को ढेर सारे पटाखे ,फुलझड़ियां अनार,रॉकेट, चलाते हुए देख रही थी। बाल मन में फुलझड़ियों के लिए लालच आ गया। उसने चुपके से दो फुलझड़ियां निकाल कर छुपा लीं। घर आकर वह माचिस खोजने लगी। मां कुछ काम कर रही थीं। माचिस लेकर वह बाहर आ कर फुलझड़ी जला चुकी थी वह बहुत खुश रही थी कि माँ ने देख लिया। उन्होंने सीमा को आज फिर बहुत मारा। सीमा को रात का झंडा भी नही दिया। कह रही थीं कि तुम्हें चोरी की आदत पड़ रही है।

सीमा रोते रोते भूखी प्यासी सो गई। रात को उसके सपने में लक्ष्मी माँ आईं उन्होंने सीमा के सिर पर प्यार से हाथ फेरा। उन्होंने उसे दो बैग दिया। एक बैग में सीमा के लिए ढेर सारे पटाखे, मिठाई सुंदर कपड़े चप्पल खिलौने थे।दूसरे बैग में किताब स्कूल ड्रेस बैग इत्यादि थे। सीमा बहुत खुश हो रही थी।

सुबह सीमा सोकर उठी तो ऐसा कुछ भी नही मिला। वह उदास हो गई।

माँ आज फिर उसे काम पर लेकर गई। मालिक से पटाखे चुराने जे लिए माफी मांग रही थी। मालिक ने कुछ नही कहा वे  सीमा के लिए  बाजार से वह सब कुछ मंगाया जो उसने सपने में देखा था। आज वह बहुत खुश थी। अब वह स्कूल भी जाने लगी थी।


स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'




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3 Comments

Fiza Tanvi

03-Nov-2021 11:51 AM

Good

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Swati chourasia

01-Nov-2021 09:22 PM

Very nice

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🤫

30-Oct-2021 12:49 AM

👌👌

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