खौफ
सर्द मौसम था चाँदनी रात थी
दूर गगन में तारे चमक रहे थे!
कड़ाके की ठंड से जैसे ठिठूर रहे थे,
चांद बादलो में बार -बार छिपा जा रहा था!
जैसे कड़ाके की ठंड से खुद को बचा रहा था,
हर मोड़ पर आदमियों की एक रैली थी!
मगर हर तरफ खामोशी सी फैली थी,
ठंडी हवाएं सर - सर चल रही थी!
किसी जहरीले बिच्छू की तरह जिस्म को डस रही थी,
आग का साथ था!
ठंडी हवाओं से लड़ने को आदमियों का काफिला तैयार था,
सब एक टक घड़ी को निहार रहे थे,
जैसे हो उन्हें किसी का बेसब्री से इन्तजार!
हम तो कड़ाके की ठंड से डर कर,
घर में बिस्तर में अपने दुबक गए!
सपनों की निराली दुनिया में भटक गए,
तभी किसी ने दरवाजे पर दी दस्तक!
हम चौंके सपनो की दुनिया से हकीकत, मे लौटे
हमने सोचा भला इतनी रात को यह कौन आया!
हम बिस्तर में से ही बोले कौन है भाई,
वहाँ से कुछ भी आवाज न आई!
हमारे दिल की धड़कने बड़ रही थी,
सांसें ऊपर को चढ़ रही थी,
कहीं बाहर न हो कोई लूटेरा!
यह डर हमें सता रहा था,
हम थे घर में अकेले,
यह खौफ हमें खा रहा था!
दरवाजे पर दस्तक बढ़ती जा रही थी,
हम पूछ रहे थे कौन है भाई!
मगर वहाँ से कोई आवाज न आ रही थी,
यही चुप्पी हमे डरा रही थी!
हम कुछ हिम्मत जुटा,
कांपते कदमो से दरवाजे तक पहुंचे!
और फिर बोले कौन है भाई,
फिर वहाँ से चुप्पी टूटी!
और ये आवाज आई,
पहले कुन्डी तो खोलो भाई!
देखो कौन आया है,
तुम्हारे लिए खुशियों का पैगाम लाया है!
हम बोले सुबह अाना
और ये पैगाम हमको दे जाना,
वहाँ से ये आवाज आई !
हम समय के पाबन्द है भाई,
डरो मत कुन्डी खोलो!
हम तो नई सदी के नए साल है भाई
नाम - विपिन बंसल
ऋषभ दिव्येन्द्र
30-Oct-2021 08:38 PM
खूब लिखा आपने 👌👌
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Niraj Pandey
30-Oct-2021 07:53 PM
बहुत खूब
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Swati chourasia
30-Oct-2021 03:29 PM
Very beautiful 👌👌
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