बचपन
यादें तेरी मैं बिसराऊॅ॑ कैसे...
भूल जाए वो दिल लाऊॅ॑ कैसे?
थे पल सुनहरे तेरे ही दम पर,
अब धोखों से दिल बहलाऊॅ॑ कैसे?
बेफिक्र से रहते होकर मतवाले,
लगा के हर एक फिक्र को ताले,
पास ना पहुॅ॑ची कोई हताशा,
थे कदमों के नीचे सभी उजाले।
दिए जो तूने यार पुराने,
जीवन के हैं वो बड़े खजाने,
फिरते थे डाले गलबहियाॅ॑,
और गाते थे यारी के गाने।
ऑ॑खों में ख्वाब हजारों सजते,
हर दिन थे वो रूप बदलते,
कीमत जिनकी थी कुछ मुस्कानें,
थे रोज नए रंगों में ढलते।
जिद पर अपनी रहना तनकर,
रूठना फिर कदम-कदम पर,
अजब-गजब सी सारी चालें,
रह जाती थीं वहीं सहमकर।
थे जीवन के हर सबक अधूरे,
बचपन करता जो ना इन्हें पूरे,
सौगातें दीं जो इसने हमको,
थे जीवन के वो दौर सुनहरे।
क्या कीमत दे दूॅ॑ इनकी जो ये,
एक बार मुझे फिर मिल जाऍ॑,
मुरझाए रहते हैं जो हरदम,
अहसास वो सारे खिल जाऍ॑।
एक सदा निकलती है दिल से,
ऐ रब तू सुन ले आज जरा,
एक बच्चा सबमें जिंदा रख और,
दुनिया को रख ले हरा-भरा।
जीवन के ताने-बाने में,
तू इतनी सी रहमत कर दे,
हो जाए सुकूॅ॑ हासिल मुझको,
जो यादों में बस बचपन भर दे।
✨✨✨✨✨✨✨✨
Shaba
मनोज कुमार "MJ"
07-Jun-2021 06:37 PM
Behad khoobsurat Kavita ❤️🤗
Reply
Shaba
07-Jun-2021 06:49 PM
शुक्रिया
Reply
.......
07-Jun-2021 06:16 PM
Aapki kavita ke liye to mere pass shbad bhi kam pad jate hai 😍😍😍 nishbd
Reply
Shaba
07-Jun-2021 06:19 PM
थैंक्यू प्यारी बच्ची।
Reply
Kumawat Meenakshi Meera
07-Jun-2021 06:12 PM
Wawooo..nice,apko Dil se shukriya ki ap hmesha meri post Ko attand krti hai ,thanks
Reply
Shaba
07-Jun-2021 06:14 PM
आपका भी आभार। 🙏😇
Reply