Anju Dixit

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वो बात

उसके होंठ खिलखिलाए,पर
मायूसियों के साथ,

रातें बितायीं उसने सिसकियों के साथ।
कोई अपना  ही था जो कर गया ,
अंधेरा उसकी जिन्दगी में,
लोग कह रहे न जाओ अजनबियों के साथ।

जिससे बजूद है दुनिया में उजालों का,
देखा है मैने अक्सर वो ही दीपक ,
कर रहे थे उजालों की तलाश।

बरसों से खेलते हैं वो समन्दर की लहरों से
बरसों से बसे हैं दरिया के किनारे पे,
कितना अजीब है ,क्यों न गयी उनकी रूह की प्यास।

कैसी घुटन है यह जो महफ़िल में बढ़ती है,
कैसी राहत है जो तन्हाई में मिलती है,
बढ़ता है क्यों दर्द उतना जितने होते सबके साथ।


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6 Comments

खूब लिखा आपने 👌👌

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Ramsewak gupta

02-Nov-2021 05:52 AM

लाजवाब

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Seema Priyadarshini sahay

01-Nov-2021 09:13 PM

बहुत खूबसूरत

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