लेखनी प्रतियोगिता -02-Nov-2021
तेरे शहर में बारिशों के काले बादल आ गये।
तुझ पे मरने वाले हम जैसे पागल आ गये।
तुम घर से निकले नहीं बारिशों के डर से,
हम बारिशों में बूदों से बरस कर आ गये।
ये अफवाह थी कि तुम्हारे इश्क़ के मारे है।
हम यहीं सच साबित करने तरस कर आ गये।
डूबती नज़र आ रही है तेरे शहर कि गलियां।
हम हर गलियों से तेरे लिये गुजर कर आ गये।
हवाओं ने तेरी जुल्फों को संवारा है अक्सर।
हम भी हवाओं के उसी चक्कर में आ गये।
ये जालिम दिल कितनी दुहाई देता है तुम्हारी।
हम भी दिल की दुहाई के असर मे आ गये।
कुमार आनन्द
Manish Kumar(DEV)
02-Nov-2021 04:59 PM
Nyc .
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