बचपन
चलो आज फिर बचपन से मिलते हैं
चलो एक बार फिर खुल के जीते हैं
गुज़रा था जो सपनों सा,फिर जीते हैं
भूली बिसरी यादों को फिर से संजोते हैं
हाँ वो मख़मली रेशमी एहसास फिर करते हैं
भुला बैठे थे जिन नादानियों को फिर जीते हैं
माँ बाप का लाड़ भाई बहन का प्यार याद करते हैं
उन सब सुनहरे लोगों को आज फिर नमन करते हैं
शहला जावेद