Ramsewak gupta

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लेखनी कहानी -02-Nov-2021 कविता नन्हीं उम्मीदें

नन्हीं उम्मीदें------

गीत--------
तुम बेटियों से न हरगिज नफरत करो।
जरा इनको भी जीने दो न गफलत करो।।
इन्हें गर्भ में यूं  नाहक मार डालो
बेटा से कम नहीं कभी आजमालो
खुदा से डरो और गुनाह मत करो।।
जरा--------------------------------------।।१
बेटियां तो चिड़ियां है कल उड़ जाएगी
दुःख सुख में साथ पिया का निभाएंगी
सदा मुस्कराएगी तुम इनायत करो।।
जरा------------------------------------।।२
आज कली है कल  तो फूल बन जायेंगी
किसी के चमन ए घर को खूब मंहकाएगीं
पनपने दो बिंदास न शिकवा तुम करो।।
जरा-----------------------------------------।।३
सीख बेहतर है सबको काबिल बनाओ
चांद छूने का जज्बा सीने में जगाओ
नाम रोशन करेंगी दिल में हसरत रखो।।
जरा------------------------------------------।।४
**रामसेवक गुप्ता**
लेखनी काव्य प्रतियोगिता हेतु------२-११-२०२१

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17 Comments

Sachin dev

28-Mar-2022 03:45 PM

बहुत खूब

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Ankit Raj

03-Nov-2021 06:39 AM

Wahhh

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Ramsewak gupta

03-Nov-2021 12:53 PM

Very thankful

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Swati chourasia

02-Nov-2021 11:20 PM

Very beautiful 👌

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Ramsewak gupta

03-Nov-2021 12:54 PM

Very thankful

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