Anju Dixit

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धरा को सजाएं,

अंधेरी रात में जगमगाते सितारों की तरह,
आओ आज धरा को सजा दें व्रह्माण्ड के नजारों की तरह।

दूर दूर तक तिमिर का निशान न रहे,

उजालों से परिपूर्ण हर स्थान रहे,

एक एक दीप जले सौ हजारों की तरह।

छोड़कर सब भेदभाव साथ साथ 

कोई महसूस न करे वे सहारा थाम सबका हाथ चलें

रोशन हों एकता की मिशालों की तरह।

हर मन की पीड़ा हर लें

अधरों पर मुस्कुराहट भर दें,

सबको इस गले लगाएं चाहने वालों की तरह।

केवल धरा का नही मन का भी अंधेरा मिटाए,
आओ आज भूल कर छल कपट नया सबेरा लाएं,
  भ्रम की दीवारें ढहा कर एक हो जाएं किनारों की तरह।

अदभुत, अपलक निहारते नयन,
अनुपम , उत्कृष्ट , प्रकृति का सृजन,
लग रहा नजारा चाँदनी रात में विहारों की तरह।

आओ अंधेरों का विनाश कर दें,
जन जन के ह्रदय से इसका हिरास कर दें,
नयी प्रीत की रीत रचें , सृजनकारों की तरह।


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2 Comments

Niraj Pandey

03-Nov-2021 11:03 AM

बहुत खूब

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Satyawati maurya

03-Nov-2021 10:16 AM

सुंदर

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