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व्यथा

"आज 
मैं बाजार में खड़ा देख रहा था
बाजार की खूबसूरत
धन की कीमत
निर्धन की हृदय स्थिति
मैंने पाया 
लोग देख रहे थे 
अपना अपना 
और खरीद ले रहे थे 
कुछ कपड़े और खिलौने 
साथ में ही कुछ पटाखे
नहीं पूछ रहा था कोई भी
उस गरीब को
फिर भी वह थोड़ी सी मिठाई लेकर
ईश्वर का धन्यवाद करते जा रहा था।"
 -तरुण श्रीवास्तव

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5 Comments

Niraj Pandey

04-Nov-2021 12:16 AM

बहुत खूब

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Gunjan Kamal

03-Nov-2021 08:21 PM

बेहतरीन

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Swati chourasia

03-Nov-2021 06:23 PM

Wahh very beautiful and heart touching 👌👌 bohot kam sabdo me bohot badi baat kah di aapne 👌👌

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