बचपन
वो खपरैल का घर,
वो मिट्टी की गंध,
उन मीठी बातों को लौटाओ न।
ओ मेरे बचपन तुम लौटकर आओ न।
वो गौरैया की धुन,
उस गिलहरी के संग,
उन संगी साथियों को बुलाओ न।
ओ मेरे बचपन तुम लौटकर आओ न।
वो दादी की कहानियाँ,
वो माँ की लोरियाँ,
उन चैन की नींदों को बुलाओ न।
ओ मेरे बचपन तुम लौटकर आओ न।
वो पापा का दुलार,
वो भाइयों का प्यार,
फिर से सबको पास ले आओ न।
ओ मेरे बचपन तुम लौटकर आओ न।
ऊब गया है मन इस भागदौड़ से,
ज़िन्दगी से लड़ते लड़ते,
वो सुकून भरा दिन लौटाओ न।
ओ मेरे बचपन तुम लौटकर आओ न।
-दीक्षा शर्मा
गोरखपुर
Shashank मणि Yadava 'सनम'
24-Aug-2022 09:55 PM
Waah लाजवाब लाजवाब
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shakoontala
07-Jun-2021 04:15 AM
ग़ज़ब
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PRATAP MANOJ
06-Jun-2021 02:35 PM
आभार
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