Diksha Sharma

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बचपन

वो खपरैल का घर,
वो मिट्टी की गंध,
उन मीठी बातों को लौटाओ न।
ओ मेरे बचपन तुम लौटकर आओ न।

वो गौरैया की धुन,
उस गिलहरी के संग,
उन संगी साथियों को बुलाओ न।
ओ मेरे बचपन तुम लौटकर आओ न।

वो दादी की कहानियाँ,
वो माँ की लोरियाँ,
उन चैन की नींदों को बुलाओ न।
ओ मेरे बचपन तुम लौटकर आओ न।

वो पापा का दुलार,
वो भाइयों का प्यार,
फिर से सबको पास ले आओ न।
ओ मेरे बचपन तुम लौटकर आओ न।

ऊब गया है मन इस भागदौड़ से,
ज़िन्दगी से लड़ते लड़ते,
वो सुकून भरा दिन लौटाओ न।
ओ मेरे बचपन तुम लौटकर आओ न।

-दीक्षा शर्मा
गोरखपुर

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7 Comments

Waah लाजवाब लाजवाब

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shakoontala

07-Jun-2021 04:15 AM

ग़ज़ब

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PRATAP MANOJ

06-Jun-2021 02:35 PM

आभार

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