Bachpan
हे प्रभु लौटा दो बचपन
कहां गई वह मासूमियत नादानियां
भाई बहन के साथ लड़ना झगड़ना
शैतानियां करना मां के पीछे छुप ना
बात पूरी ना होने पर खाना ना खाने की हट करना
पिताजी से घूमने झूलने की जिद करना
कहां गया वह समय वह बचपन
हे ईश्वर लौटा दो वह बचपन वह मासूमियत
आज वह समय याद आता है
तो खुद को अकेला पाते हैं
ना कोई जिद पूरी करने वाला.
ना कोई पूछने वाला
कहां गया वह समय वह बचपन वह मासूमियत
ऐसा लगता है समय तेजी से घूम रहा है