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बचपन

शीर्षक- बचपन 

नाम-नेहा कटारा पाण्डेय 
         सिरोही 

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सर पर मैला ढोता बचपन,
थड़ी पर बर्तन धोता बचपन।

कुछ रुपयों की ख़ातिर अपना, 
बचपन भी तो खोता बचपन।

भूखे पेट और नंगे तन,
देख -देख के रोता बचपन।

अपनी ख़्वाहिश ओढ़ बिछाकर,
फुटपाथों पर सोता बचपन।

खेल खिलौने सब बाते हैं,
रोटी तक को रोता बचपन।

हर बच्चे को मिले सभी कुछ, 
लगे के बचपन होता बचपन।

    स्वरचित
नेहा कटारा पाण्डेय 

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2 Comments

लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Apeksha Mittal

11-Apr-2021 12:26 PM

बहुत अच्छा लिखा अपने

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