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परदेशी का लक्ष्य

परदेसी छोरे ---"तुम शहर में रहते है पर मैं भी गांव की छोरी हूँ तैरम तैराई में तुम मुझसे नहीं जीत सकते"।

हाँ उसे तैरना नहीं आता था पर सीखने की कोशिश करता था जबतक थोड़ा बहुत सीख पाता उसकी छुटियाँ खत्म हो जातीं और  वह अपने शहर चला जाता।

हाँ- परदेशी ही तो था मनुज! सुमी मानों खुद से बातें कर रही थी।

बहुत साल बाद वह अपनी माँ के अपने मामा जी के घर आया हुआ था। 

सुमी उसके मामा राहुल जी के पड़ोस में रहती थी। 

दोनों घरों के संबंध बहुत अच्छे थे। एक घर में दाल बनती और एक घर में सब्जी लेकिन उसकी खुशबू और स्वाद दोनों घरों में फैलता था।

वह उसदिन कढ़ी लेकर राहुल जी के घर गई थी। उसने उसने राधा बुआ को पहचान लिया -"बुआ जी प्रणाम !आप कब आईं ?

किसके घर से आई हो बिटिया ? बुआजी ने उसे नहीं पहचाना।

श्यामलाल जी की बेटी हूँ बुआ।

अरे सुमी तू इत्ती बड़ी हो गई। बचपन में तो तू गोलमटोल थी?

वह चुप रहती है।

"मैं आज सुबह आई हूँ बेटा।"

चाची ने तो बताया नहीं कि आप आ रहे हो?

हाँ बेटा- हमारा अचानक ही प्रोग्राम बना । मनुज की कोई परीक्षा थी वह इसी वजह से नहीं आ रहा था अब वह परीक्षा टल गई तो मैं इसे जबरदस्ती ले कर आ गई। ये नहीं आता तो मैं पहले ही आ जाती। भतीजी (शशि) की शादी जो है। शादी ब्याह का घर है हज़ारों काम होते हैं इसीलिए मनुज को साथ लेकर आई। ये तो आने को मना कर रहा था। हरदम किताबों में घुसा रहता है।

मनुज भी आया है बुआजी?

हाँ बेटा- वह अभी सो रहा है।

उसके दिल में कुछ हुआ।

वह चाची को कढ़ी देकर चली गई।


घर जाकर वह मनुज के बारे में सोच रही थी। जब वह छोटा था हर साल गर्मी की छुट्टियों में अपने मामा जी के घर आता था। वह ,शशि दीदी,राधा और मनुज गाँव के बच्चों के साथ खूब धमाल मचाते थे। मनुज जब वापस अपने घर चला जाता तो कुछ दिन उसे अच्छा नहीं लगता वह और शशि दीदी अक्सर उसकी बातें करतीं। 

इस बार वह कई साल बाद आया था। बुआ जी कह रही थीं कि किसी बड़ी परीक्षा की तैयारी कर रहा है।

शाम को सुमी नदी की तरफ जाने को सोचती है वह सोचती है कि शशि तो अब घर से बाहर निकलेगी नहीं क्योंकि विवाह के कुछ दिन पहले से लड़कियां घर से बाहर नहीं निकलती हैं। मनुज और राधा(दूसरी सहेली) के साथ जाती हूँ।

वह राहुल जी के  के घर आती है। 

बुआ जी मनुज कहाँ है?

मैं और राधा नदी की तरफ़ जा रहे थे सोचा उसे भी घुमा ले आऊं।

"मनुज बेटा  देख कौन आया है "बुआ जी ने आवाज़ लगाई।

मम्मा मैं अभी पढ़ रहा हूँ। 

बुआ उससे कहिये रात में पढ़ लेगा वह यहाँ शादी में और घूमने आए हैं या पढ़ाई करने?

बुआ ने कोई उत्तर नहीं दिया।

मैं बुलाकर ले आती हूँ उसे कहते हुए वह मनुज के कमरे में चली गई।

वह उसे पहचान नहीं पाई चार फुट का लड़का अब छह फुट का गबरू जो हो चुका था।

कौन हैं आप ? मनुज ने भी उसे नहीं पहचाना।

पहचानता भी कैसे वह भी तो चार फुट से साढ़े पाँच फुट की हो चुकी थी। वह जिसे सुमि मोटिल्ली कह कर चिढ़ाता था----अब वह छरहरे काया की स्वामिनी थी। उसके नैन नक्श में भी बदलाव आ चुका था।

तीखे नैन नक्श मृगी समान बड़ी-बड़ी आँखे, टेसू के फूलों के समान अधर कुल मिलाकर सौंदर्य की  प्रतिमूर्ति लग रही थी। मनुज उसे कुछ सेकेंड अपलक देखता रह गया।

"म म मैं सुमी।"

"सुमी कौन सुमी?"

शशि की सहेली सुमी ने धीरे से कहा।

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4 Comments

Ramsewak gupta

03-Jan-2022 05:05 PM

Very good

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Payal thakur

30-Nov-2021 06:30 PM

Very beautiful

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Seema Priyadarshini sahay

13-Nov-2021 05:26 PM

बहुत खूबसूरत

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