आक्रोश

जब
मर्यादाओं का लंघन होता है
अधिकारों का हनन होता है 
कमज़ोर का दमन होता है 

तब आक्रोश का आगमन होता है

जब
प्रशासन बेखबर होकर सोता है
न्याय और सच लज्जित होता है
कोई असुरक्षित महसूस होता है

तब आक्रोश का आगमन होता है

जब
नारी की अस्मिता लुटती है 
इन्सान की क़ीमत घटती है 
ज़ुल्मों की दुकान सजती है

तब आक्रोश का आगमन होता है

जब
बच्चे और बूढ़े लाचार हो 
अन्याय और अनाचार हो
सच्चाई का दमन होता है 

तब आक्रोश का आगमन होता है

जब
मन दुःखी और उदास होता है
क्रन्दन और विलाप होता है 
क्रोध का जबरन शमन होता है 

तब आक्रोश का आगमन होता है
😟😕😭😡😪😥

अपनी स्वरचित रचना पर आप सबकी प्रतिक्रिया, आत्मीय और तार्किक समीक्षा की मुझे प्रतीक्षा होगी । कृपया अपनी टिप्पणी देकर मुझे प्रोत्साहित करें। सादर धन्यवाद् 🙏🏻
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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

13-Nov-2021 04:55 PM

सुंदर लिखा आपने सर

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जी बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार आपका दिल से 🙏🏻👍🏻😊🌹🙏🏻👍🏻

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